Nhạc sĩ: Suresh Gola
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आज तो मेरे प्रेमिस साथियों एक भोजी जिसकी नई नई साथी होई और साथी करके जब भोज में चला गया तो उसका जी नहीं लगता
उसके आरे उसे पूछते कि आरे क्यों परेशान सा नजराता के बाद आप तो अपने साथियों से भोजी भाई की तरह से अपनी गर्वारी का बयान करता है अपने मन का बयान करता है आईए सुनते हैं
मेरे याद दणी आवे मन कुछ भी नहीं भावा
सारी रात बीट जावे मन नीद नहीं आवे
वर नई नगली छोड़ी अगली आया मुल्टन में
हुआ रोवती होगी चन जोवती होगी इन रात उलज़न में
मेरे याद गणी आवे मन कुछ भी नहीं भावा
सारी रात बीट जावे मन नीद नहीं आवे
वर नई नगली छोड़ी अगली आवे मन नीद नहीं आवे
वर नई नगली छोड़ी अगली आवे मन नीद नहीं आवे
हुआ हेरी चाह
होगी परदार माँदेरी चाह
खुक करें पादे का नजार जवे उठेंगी तन में
हुआहाँगी चन जोवती होगी इन रात उलज़न में
मेरे याद गणी आवे मन कुछ भी नहीं भावा
सारी रात बीट जावे मन नीद नहीं आवे
भाई विक्ती गुजर देवाडी से 11,000 रुपए जेकर के पालिटी के सम्मान करने भाई के लिए एक बार चोर तार ताली जोर चोर तार ताली
बिना रुखारी मारी के सुखेगी फुर्वारी कौने सामाले गावा के सर की क्यारी
चंदा सा रूप उसका सूरत से प्यारी देख देख बात मेरी जहाने वो हारी
दिलवर दिलदार चहिए भरकार
करके सोच विचारियारो दुखी हुया मन में हुआ रोगती होगी जन जोरती होगी जिन राती जलजन में
परियाद गणियावे मन कुछ भी ना भावे
साइ रात भीट जावे मन मीद नहीं आवे
ओ के सुख पाया व्या करवाते खाई ना खेली
मारेंगी ताने रोज संकी सहली
उमर जवान चहिए मन का वेली
क्यों कर काटेगी आरो पैम अखेली
क्यों कर काटेगी आरो पैम अखेली
क्यों कर काटेगी आरो पैम अखेली
होगी दुखी चंगर मुखी
रुखी सुखी खा के पेन बिकाले जीवन में
वाँ रोगती होगी चंग जोणती होगी
दिल राती उलजन में
मुख याद गणियां वे
मन कुछ भी ना भावे
सुख पाठा होगी
सर रात बीट जावे मन लिख नहीं आए
सुरेश शंग में जिस दिन छुटी जागा भोजते
भोजा का मन हलका मेरा गम के बोजते
काड़ी दिखा दू यारो खोटू में गोजते
दस दिन भी रहना पाया धर्मे संग मौजते
दस दिन भी रहना पाया घर में संगमोज ने
छुट गया घर में उस दिन मेरा यार
छुट गया घर में उस दिन मेरा यार
सुशील कारा भरती में हो गया था जिस सन में
वहाँ रोगती होगी जंग खोगती होगी
दिन राती उलजन में
मन कुछ भी ना भावे सारी राज बीट जावे
मन कुछ भी ना भावे
नरी नरी छोड़े अकेली आजा कुर्टम में
वहाँ रोगती होगी जंग खोगती होगी
दिन राती उलजन में
मन कुछ भी ना भावे सारी राज बीट जावे
मन कुछ भी ना भावे
सारी रात बीट जावे मन मीन नहीं आवे