हिंग्षयारे प्राछिरे पिछीवि ता बंधी
छारी येछे मत्रा पेरी येछे गन्दी
हिंग्षया प्रत्तेक जाने आज बर्तोरमान
जाति-धर्मेर आज इता इप बेबधान
समाजे नहीं सामाजीकु चेतना
বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে
বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে বেবে ব
ślę- Patel
शान्ती चाई, शाम्म चाई, चाई मानोभाधिकार।
आकाशेरे मेगेचे करे बड़ो गर्जन,
जेही समाजे धर्म है धर्षन।
शिंघेरे भुमिते छेही अचे निरभता, छुख होई निषपाप,
भरे बोशे दुर्धाप, मरखे परे ठाके आम जनोता।
एइ भाबे जोधी चले समाजेर संग्षार,
शाम्मेरे माटी ते बिवेदेर हाकार।
एइ भाबे चले जोधी अगीचार अन्नाई,
चनोतार लाज़ भाजबे हिंशार बननाई।
शांती चाहाई, शाम्म चाहाई, चाहाई मानोभाधिकार।
धर्मेरे नामे कैनो एही हिंशोता,
समाजेरे माने,
समाजीके मानोभाधा,
शांती चाहाई, शाम्म चाहाई, चाहाई मानोभाधिकार।