तु ख़ौबों में आती है रात बर
दिल पुछे तुझे से हर बार क्यों कर
तेरा नाम मेरी सांसों में
तु नहों थो लगे कुछ भी नहीं
तु गई तो जैसे रुक गया वक्त
राद कुछ भी नहीं बचा लेप्ट
तेरी हँसी, तेरा गुशा, तेरा सब कुछ
अब भी दिल के अंदर बज़ेता हर पल थक
तेरे बिना जो जिया वो भी सजासी लगी
तेरे साथ जो पल है वही दावासी लगी
अब भी रातों को उठता हूँ सोच कर तुझे
कुछ भी नहीं
चलो माना मैं पर्फेक्ट नहीं था
पर मुझे सच्चा कोई भी नहीं था तेरे
पीछे सब छोडा तुही थी जहां पर तुन निकली
फेक और मैं बना बे मा अब जामे हाथ में
और आखेनम तेरा नाम अपने लगों पर हरता पावर तेरी यादों
से लड़ूई या पुछ से अबी दिल तुझे ढूंडे हर सुभाँ और साम
तुख ख़ौबों में आती है रात बर दिल पुछे तुझे से हर बार क्यूं पर
तेरा नाम मेरी सांसों में हुना हो तो लगे कुछ भी नहीं