संघवन्दन
सूपटि पन्नो भगवतो सावक संगो
उजुपटि पन्नो भगवतो सावक संगो
नायपटि पन्नो भगवतो सावक संगो सामीचि पटि पन्नो भगवतो सावक संगो
यदि नंचतारी पुरिस युगानि अट्धपुरिस पुगल्ला
एस भगवतो सावक संगो
आऊनेयो आऊनेयो
तक्षिनेयो अय्यलिकरणियो
अनुतरं
उयंकेतं लोभसादी
संगं याव जीवित परियंतं सरणं गच्चामी
एच संगा
अतीताज एच संगा अनावता
वजुपन्नाच
एसंगा
अहम्भन्दामि सबदा
नात्तिमे सरणं अय्यं
संगो मे सरणं वरं
एदेन सच्च वजेन
ओतुमे ययमंगलं
उतमं गेन वन्देहं संगं चातिवितोतमं
संगेयो खडितोतोसो
संगो भमतु तन्ममं
यंकिंची रतनं लोके
निजति लिलाकुतु
रतनं संगसमनत्तितस्मा सोती भवन्तुमे
संगो इसुत्तो
वरदक्यिनेयो
संतिन्दियो सब्भमलापहिनो
नेकेनी समीति पतो अनासोतन पढमाई संगं