सलोक पगत कभीर जीयों के
एक ओ अंकार
सत्गुर परसार
कभीर मेरी सिमरनी रसना इउपर राँ
आद जुगादी सगल पगत तांको सुख विसरा
कभीर मेरी जात को सब को हसने हाथ
बलहारी इस जात को जिह जपयो सिरजन हाथ
कभीर डगमग क्या करे कहां डुना वै जीयो सरब सुख को नायको राम नाम रस पीयो
कभीर कंचन के कुंडल बने उपर लाल जड़ाओ
दी सेदा दे कान जो जिन मन नाही नाओ
कभीर ऐसा एक याद जो जीवत मिर्तक होई
निरपै होई कै गुन रवै जत पेखों तत सोई
कभीर जा दिन हो मुवा पाछे पयाय अनंद
मोहे मिले ओ प्रब अपना संगी पजे गुबिंद
कभीर सब ते हम बुरे हम ताजपलो सब कोई जिन ऐसा कर भूजेया मीत हमारा सोई
कभीर आई मुझे पै अनक करे करपेस हम राखे गुर अपने उनकी नूवा दे
कभीर सोई मारीये जे मुवे सुक होई पलो
पलो सब को कहे बुरो न माने कोई कभीर
राती होवै कारिया कारे उबे जंत लैफाहे उठथावते से जान मारे पगवंत
कभीर चंदन का बिरवा पला बेडे उठाक पलास
ओए पी चंदन होई रहे बसे जो चंदन पास
कभीर
बास बड़ाई बुड़ेया यो मत डूबो कोई चंदन के निकटेवसे बास सुगंद न होई
कभीर दीन गवाया दुनी स्यों दुनी न चाली
साथ पाए कुभाडा मारेया गाफल अपने हाँ
कभीर जै जै हाँ फिरो कौत कथा उठाए एक राम सने ही बाहरा पूझर मेरे पाए
कभीर संतन की चुंगिया पली पाठ कुसती गाओ
आग लगोते हिताओल हर जेना ही हर कोनाओ
कभीर संत मुए क्या रोईये जो अपने ग्रह जाए
रोवो साकत बापरे जो हाट है हाट बकाए
कभीर साकत ऐसा है जैसी लसन की खान
कोनें बैठे खाईये प्रग्ट होए नीदा
कभीर माया डोलनी पावन च कोलन हार संतो माखन खाया शाश पीए संसार
कभीर माया डोलनी पावन वह हिवतार जेन बिलोया तिन खाया आवर बिलो वनहार
कभीर माया चोरती मुस मुस लावे हाट एक कभीरा नामसे जिन कीनी बारा बाट
कभीर सूख ना एह जोग करे जो बहुत यमीत
जो चित राखे एक सियों ते सुख पावे नी
कभीर जिस मरने ते जग डरे
मेरे मन अनन्द मरने ही ते पाईए पूरन परमानन्द
राम पदारत पाएके कभीरा गाँथ न खोल
नहीं पटन नहीं पारखू नहीं गहक नहीं मोल
कभीर तासियों प्रीत कर जा कोठा कुर राम पंड़त राजे पूपती आवे कौने काम
कभीर प्रीत एक सियों की आन दुबिदा जाए पावे लामबे केस कर पावे कर मुढाए
कभीर जग काजल की कोठरी आन्द परेतिस
माहे फांबल हारी तिन को पैस जो नीक सजाए
कभीर ये तन जाएगा सको तले हो बहोर
नांगे पावों ते गए
जिन के लाख करो
कभीर ये तन जाएगा कवने मार गलाए
कै संगत कर सादकी कै हर के गुन गाए
कभीर मरता मरता जग मुआ मर पी ना जाने आ कोई
ऐसे मरने जो मरे बहोर ना मरना होई
कभीर मानस जनम दुलम्ब है होई ना बारे बार
जो बनफल पके पोई गिरे बहोर ना लागे डार
कभीरा तुही कभीर तू
तेरो ना ओ कभीर
राम रतन तब पईये जो पहले तजे सरीर
कभीर चंक नचंकीये तुमरो कहेओ नहोई करम करीम जो कर रहे मेट नसा कै कोई
कभीर कसोटी राम की चूठाट कैना कोई
राम कसोटी सोस है जो मर जीवा होई
कभीर ऊजल पैरे कापरे पान सुपारी खा है
एक सहर के नाम बिन बादे जमपूर जाए
कभीर बेडा जर जरा फूटे शेंक हजार हरवे हरवे तिर गए डूबे जिन सिर पा
कभीर हाड जरे जो लाकरी केस जरे जो कास ये जग जरता देख के
पयो कभीर युदास
कभीर गर्ब ना कीजिये चामल पेते हाड
फैवर ऊपर शतर तर तेफन तर नीगाड
कभीर गर्ब ना कीजिये ऊचा देख यवास
आज काल पोई लेटना ऊपर जामे का
कभीर गर्ब ना कीजिये रंक ना हसीए कोई
आजो सुनाओ समुंद्र मैं क्या जानो क्या होई
कभीर गर्ब ना कीजिये देही देख सुरंग
लूट ना है ता लूट ले राम नाम है लूट फिर
पच्छे पच्छता होगे प्रान जाहेंगे चू कभीर
ऐसा कोई ना जनमे ओ अपने करला वै
आग पांचो लरका जार के रहे राम लेवलाग
कोहै लरका बेचई लरकी बेचे कोई
सांजा करें कभीर से ओ हर संग बनज करें
कभीर एच तावनी मत सहसा रह जाए पाचे पोग जपोग वै किन को गुड लेखा है कभीर
मैं जाने ओ पडबो पलो पडबे से ओ पल जोग
पगत न छाड़ो राम की पाँवे निन्दो लो कभीर
लोग गिनन्दे बपड़ा जै मन नाही ग्यान राम कभीरा रव रहे आवरत जे सबका
कभीर समंद न छोड़ीये जो अतखारो होई
पोखर पोखर टूंडते
पलो न कहे कोई
कभीर निगसाइं बहगे फांगी नाही कोई दीन गरीबी आपनी करते होई सो होई
कभीर बैसन की कूकर पली साकत की बुरी माई
ओ नित सुने हर नाम जस ओ पाप विसाहन जाए
कभीर हर ना दूबला एह हरी आरा ताल लाख यहरी एक जियो केता बंचो का
कभीर गंगा तीर जो कर करे पीवे निर्मल
नीर बिन हर पगत न मुकत होई एओ कहरमे कभीर
कभीर मन निर्मल पया
जैसा गंगा नीर
पाछे लागो हर फिर कहत कभीर कभीर
मुकत दुआरा संकुरा राई दसें पाए मन तो
मैं गल होई रहेओ निकसो क्यों कह जाए
कभीर ऐसा सत्गुर जे मिले तुठा करे पसाओ
मुकत दुआरा मोकला सैजे आवो जाओ कभीर
ना मोहे शान ना चापरी ना मोहे कर नहीं
गाओ मत हर पूछे कौन है मेरे जात ना नाओ
कभीर मोहे मरने का चाओ है मरो तहर
कैदवार मत हर पूछे कौन है परा हमारे बार
कभीर ना हम किया ना करेंगे ना कर सके सरीर क्या जानो किश हर किया
पयो कभीर कभीर कभीर सुपने हूं बरडाए कै जे मुक
निक सेराम ता के पग की पान ही मेरे तन को चाम
कभीर
माठी के हम पूतरे मानस राखे नाओ चार दिवस के पाउने बडबड रून देठाओ कभीर
पापी पगत न पावई हर पूजा न सुभाए
माखी चंगन पर हरे जेहे बिगंद तजाए कभीर
बैद मुआ रोगी मुआ
मुआ सब संसाल एक कभीरा ना मुआ जेह ना ही रोवन हाल
कभीर रामनात आयो
मोटी लागी खोर
काया हंडी काठ की नाओ चरे बहो
कभीर ऐसी होई परी मन को पावत कीन मरने ते क्या डर्पना जब हात संदोराली
कभीर रस को गांडो चूसीये गुन को मरीये रोए
अवगण्यारे मान से पलो न कहे कोई
कभीर गागर जल परी आज काल जैफूट
गुर्ज नाचेते अपनो अदमाज लिजेगे लूट
कभीर कूकर राम को
मुतिया मेरो नाओ
गले हमारे जेवरी जेखिन चैते जाओ
कभीर जपनी काठ की क्या दिखला वैलो ए फिर गयराम नचेते इ एह जपनी क्या होई
कभीर बिरहो पयंगम मन बसे मंतर न माने कोई
राम बयोगी ना जीये जीये ता भौरा होई
कभीर पारस चंदने तिन है एक सुगंद ते मिलते उ उत्म पई लो काठ निरगंद
कभीर जम काठेंगा बुरा है को नहीं सहे आजाए
एक जो सादु मोह मिले उ तिन लिया यंचल लाई
कभीर बैद कहे हाँ ही पला दारू मेरे वस थे तो बसत गुपाल की जब पावेले खस
कभीर नौ बत आपनी तिन दसले हो बजाए नदी नाव संजोग जो भौर न मिल है आई
कभीर सात सुमंदे मस करो कलम करो बन
राए बसदा कागद जो करो हर जस लिखन न जाए
कभीर जात जुलाहा क्या करे हिरदे बसे
गुपाल कभीर मैया कंठ मिल चूके सर्व जंजाल
कभीर ऐसा को नहीं मंदर दे जराए पांचो लरके मार के रहे राम लेओ लाए
कभीर ऐसा को नहीं एथन देवै फूक
अंदा लोग न जाने रहो कभीरा कु
कभीर मन पंखी पयो पुड़ी उड़ दे दिस जाए
जो जैसी संगत मिले सोते सो फल खाए
कभीर जाको खोजते पायो सोई ठोर
सोई फिर कैतू पया जाको कहता योर
कभीर मारी मरोक संग की केले निकट जो बेर ओह चूले ओह चीरीय साकत संग नहेर
कभीर एक मरनते दोई मुए दोई मरनते चार
चार मरनते शे मुए चार पुरक दोई नाथ
कभीर देख देख जग टूंड़ेया कहूं न पाया
ठोर जिन हर का नाम नचेते ओ कहां पुलानेया
कभीर संगत करिये सादकी अंत करे निर्बाहो
साकत संग न कीजिये जाते होई बिना
कभीर यवरे कोई उपदेसते मुख मैं पर है
रेत रास बिरानी राखते खाया करका खेत
कभीर सादू की संगत रहो जाओ की पूसी
खाओ पोन हार सो होई है साकत संग न जाओ
कभीर संगत सादकी दिन दिन दूना हैत साकत कारी कांबरी होई होई नसे
कभीर मन मुणया नहीं केस मुणाए काए जो
किष किया सो मन किया मुंडा मुंड आजाए
कभीर राम न छोड़ी है तन तन जाए तन जाओ
चर्न कमल चित वेदिया राम में नाम समाओ
कभीर जो हम जंत बजावते तूट गई सब तार जंत विचारा क्या करे चले बजावन हार
कभीर माई मुणडो ते गुरू की जाते परम न जाए
आप डुबे चौभेद मैं चेले दिये बहाई
कभीर जेते पाप किये राके तले दुराए
परगट पैए निधान सब जब पूछे तर्मराई
कभीर हार का सिमरन चाड के पाले बहुत
कुटंब तन्दा करता रह गया पाई रहे आना बंद
कभीर हार का सिमरन चाड के रात जगावन जाए सर्पन होई के आउतर जाए अपने खाए
कभीर हार का सिमरन चाड के आहोई राखे नार
गद ही होई के आउतर ये पार सहे मन चार
कभीर चतुराई अत कनी भार जप हिरदे माहे सूरी उपर खेलना गिरे तठा हरनाए
कभीर सोई मुख तन है जा मुक कही एराम देही किसकी बापरी पवितर होई गोगराम
कभीर सोई कुल पली जा कुल हर कोडास जे कुल दास ना यूप जै सो कुल ताक पलास
गुडा बंस कभीर का उप जे अपूत कमाल हर का सिमरन छाड के कर ले आया माल
कभीर सादु को मिलने जाई ये साथ न लीजे
कोई पाछे पाओ न दीजी ये आगे होई सो होई
कभीर सुर्ग नरक ते मैं रहेओ सत्गुर के
परसाद चर्न कमल की मोज मैं रहेओ अंत हर्या
कभीर चर्न कमल की मोज को कैसे उनमान कहबे को सोबा नहीं देखा ही परवान
कभीर सुता क्या करे जाग रोए पै दुख जाका बासा गोर मैं सो क्यों सोवै सुख
कभीर सुता क्या करे उठके न जपे मुरा इक दिन सोवन होई गो लामवे गोंड पसाद
कभीर सुता क्या करे बैठा रोओ अरजा जाके संगते बिश्रा ताही के संगला
कभीर संत की गैल न छोड़ी है मारग लागा जाओ
पेकत ही पुनीत होई पेटत जपिये नाओ
कभीर सागत संग न कीजिये दूरों जाईये पाग
बासन कारो परसी है तो कशला गैदा
कभीर राम नचेते ओ जरा पहुँच आए
लागी मंदर दुआर ते अब क्या काड़िया जाए
कभीर परबाते तारे खिसे ते ओने है खिसे सरीर
एदो ए अखर नाखिसे जो गह रहे ओ कभीर
कभीर कोठी काठ की दैध सिलागी आग
पंडट पंडट जलमुए मूरक युबरे पाग
कभीर संसा दूर कर कागद दे बिहाई
बावन अखर सोद के हर चर नीच चितलाई
कभीर संत न चाड़े संत यी जो पोटक मिले संत
मले आगर पोयंगम बेडे उत सीतल तानत जंत
कभीर मन सीतल पया पाया ब्रहम ग्यान
जिन जुवला जग जारेया सो जन के उदक समान
कभीर हज का बेहोय जाये था आगे मिलेया खुदाये
साइं मुझसे ओनर परेया तुझे किने फरमाही गाये
कभीर हज का बेहोय होय गया केती बार कभीर
साइं मुझमें क्या खता मुखो न बोले पीर
कभीर जी जो मारे जोर कर कहते हैं जो हलाल
दफतर दैजब काड है होईगा कौन हवाल
कभीर जोर की आसो जुलम है ले जबाब खुदाये
दफतर लेखा नीक से मार मुहे मोखाए
कभीर लेखा देना सोहेला जो दिल सूची होई
ओस साचे दीबान मैं पला न पकरे कोई
कभीर मेरा मुझमें किछ नहीं जो किछ है सो तेरा
तुझ को सोपते क्या लागे मेरा कभीर तू तू करता तू हुआ
मुझमें रहा नहूं जब आप परका मिट गया जत देखो तत तू
कभीर हर का सिमरन जो करे सो सुखिया संसा
इत उत कते न डोलेई जिस राखे सिरजन हार
वाहे गुरू वाहे गुरू
वाहे गुरू
वाहे गुरू वाहे गुरू वाहे गुरू
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