अड़पा किन्तु बुझी हुए
बेसी बुझी बाको साबो आपो जेस्ता
आजो धारी ब्यर्था जाए
अधर भासा स्पुरण न हुए
स्पंदन रे जाए रोही
कोही बातु जाहा चाहुता ताहा
पारो नाही काही कोही
नया नाला ताके किति कथा ब्याथा
बही जाए छरा छरा
अपलो का नित्रे देखिले बिजेते
भुझी बाहुए दुसकरा
सकितु मा आखी कहे कथा बहु
अड़पा किन्तु बुझी हुए
अधर भासा स्पुरण न हुए
अड़पा किन्तु बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
बुझी हुए
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