छप जा छप जा इसी कहाणी हो गई
उसका रंग रूप देके मैं दिवानी हो गई
लगी काल जेम हच्छेक मेरे निशानी हो गई
वो मेरा भरतार मैं उसकी बीरबानी हो गई
लिया तोड़कर यूँ पियाजी का मने प्यार चाहिए दे
हरा दुपटा रेशम की सलवार चाहिए दे
सास ससुर के कामाते मैं क्यू कर टल जाँगी
जैनाक चढ़ा के बोलू नूड की तरियां गल जाँगी
पढ़ी लिखी होशियार घणी मैं आप संभल जाँगी
दस बीस लाग जाँगे डेप कुणबे मैं मरल जाँगी
बेटा बेटी फेर मेरे परिवार चाहिए दे
सास रे महन दस पंदरा दिन की ठरार चाहिए दे
पूंच लियू पतीना हर रुमाल की गेलिया
बीस साल का छोरा सोलहां साल की गेलिया
दुन्याँ बागल होरी भूरी खाल की गेलिया
मेरी मुंडला ने महशादी प्यारे लाल की गेलिया
जन्डू मीर की मेहर मन रोजगार चाहिए दे
बेड़ा बांध लियों तो नामा कई हजार चाहिए वै
बेड़ा बेटी फेर मेरे परिवार चाहिए वै
सब तब थों डस पंदर की धर हरार चाहिए वै