माला काड़
हो गया जवाग कामाला काड़ दास की मां
तेल ते कदोंदा मेरा देल सालिये
किते सज़री मशूक मांगू मेल सालिये
रखदा नहीं हुँता हक कोई भी किसीदा
कुली तके नाल मार के चमुट जीजिया
हो गया में गणशिज जदो गुट जीजिया
कदोंदा ते किने होवे मेल कली हूरदा
इसे तरह रहा मैं बथेरा तीरर छूरदा
खुलना जेहे छेरे उठे जरे आने जानदा काला
बेके तरम नाल तेल साली ये
कित सज़री मशूक मांगू मिल साली ये
कैना प्या होड वे खीर पला हार के वेख लेंदा पिला हित राही जीता मारखे
चेति कार पहुर दा खियाल डुब जानी है नी हो जा कित जीज़े दे आल डुब जानी है
गाग जान तो कुड़ी हुन दी आशकानी जात मुक जावे जगमां दी होवे गिल साली ये
कित सज़री मशूक मांगूं मिल साली ये
बज़दी न केंदे आई चान थिले खिल वे रोकदी न साली तेरी अपनी हटिल वे
भग तेरी वाली आए हाग मा शिकीना भग तेरी वाली आए हाग मा ले ही तु
जो पतलो बहादी विच कुट जीज़िया हो गिया में गान शेच जिदो कुट जीज़िया
कित सज़री मशूक मांगूं मिल साली ये