सन्या तू है भंगडी, मैं पीहर चली जाओंगीऔर ना जा मेरी फुलझडी, मैं पीछे पीछे आओंगासन्या तू है भंगडीजब खटके तेरा सिलगटा मेरे मन में आग लगाएतुझे देख सब कहें भंगडी, तो ऐशरम नहीं आएअरे तंग करें मैं हर घड़ी, मैं पीहर चली जाओंगीऔर ना जा मेरी फुलझडी, मैं पीछे पीछे आओंगासन्या तू है भंगडीकहें भंगडी, दुनिया मुझे को वो क्या इसको जानेमज़ा भी पहचाने रे भईया, जो बूती को चानेना कर एसी गणबडी, मैं पीछे पीछे आओंगासन्या तू है भंगडीमैं तो पीहर चली, बलम तुम पीओ भंग का गोलाजब से तेरे घड़ में आई, सूख गया सब चोलातुझ को मस्ती है चड़ी, मैं पीहर चली जाओंगीना जा मेरी भुलघडी, मैं पीछे पीछे आओंगासन्या तू है भंगडीसुन पीहर का नाम, मेरा नशा उतर गया गोरीसुन पीहर का नाम, मेरा नशा उतर गया गोरीजो तु कहे करूँगा, वो ही मानू बतिया तोरीकरती क्यों बातें करी, मैं पीछे पीछे आओंगासन्या तु है भंगडी, ना जा मेरी भुलघडी