Nhạc sĩ: Shailendra Bharti
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ओम् श्री साइ सर्वशक्ति मूर्तये नमः
सर्वशक्ति मान बाबा का सर्व भूतों में वास है
सर्वच्छि परालोकिक शक्ति जिसने संसार
की सृष्टी की और उसपर शासन कर रहे है
जिसप्रकार व्यवहारिक संसार में होने वाली हलचल का कारण जीव है,
उसी प्रकार ब्रह्म के निर्माता एवं संचालन करता सर्वशक्ति मान बाबा है
परमात्मा ही सब का कारण रूप होने से
संपूर्ण जगत को व्याप्त करके स्थित है
यह ठीक उसी प्रकार है जैसे आकाश, वायो, अगनी,
जल और प्रिथ्वी का कारण रूप होने से उनको व्याप्त करके स्थित है
सर्वशक्ति मान परमात्मा सर्वत्र,
सर्वज्ञ,
परिपूर्ण और सर्वात्मा होने के कारण अत्यंत
समीप होते हुए भी अत्यंत दूर प्रतीत होते हैं
भी दिन भिन्द कार्य स्थल होते हुए भी सब पूर्ण तह एक ही हैं
एक बार श्रि हरी भाव करनिक ने बाबा के दर्शन किये,
वापसी में उनके मन में एक रुपया अरपण करने का विचार आया
नासिक में जब वे कालाराम मंदिर गए,
तो संत नर्सिम्ह माराज उनका हाथ पकड़ कर बोले,
मुझे मेरा रुपया दो
हरी भाव को साइं की शक्ती और अभिन्नता का अनुभव
हुआ और उन्होंने सहर्ष एक रुपया अरपण किया
सर्वशक्ति मान परमात्मा के स्वरूप श्री
साहिनात महराज को मैं प्रनाम करता हूँ