Nhạc sĩ: Shailendra Bharti
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ओम् श्री साइ लक्ष्मी नारायनायनम
बाबा शामा को विश्णु सहस्र नाम पढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए कहते हैं
शामा ये पुस्तक अत्यंत कल्यान कारी है अतः मैं इसे तुम्हें दे रहा हूँ
एक बार मैं घोर मुश्किल में था और मेरे जीवन को भी खत्रा था
तब मैंने इस पुस्तक को रिदय से लगा लिया और मुझे अत्यंत शांति का अनुभव हुआ
मुझे लगा के अल्लाह स्वयं मेरी रक्षा करने आ गए
काका साहिब दीखशित को भी श्री हरी के अवतार विठल भगवान के दर्शन होते हैं
बाद में जब वे बाबा से मिलते हैं तो बाबा उन्हे विठल को कस कर पकड़ने के लिए कहते हैं
बाबा स्वयं साक्षात सत्य स्वरूप है
बाबा कहते हैं
अगर कोई भी जीव तुम्हारे पास आता है
तो उसका तिरसकार मत करो
उसका यथावचित सम्मान करो
अगर तुम प्यासे को पानी
भूखे को अन्न
नंगे को वस्त्र
और राहगीर को छत प्रदान करते हो
तो श्री हरी अर्थात भगवान विश्णू
अवश्य ही प्रसन्न होते हैं
माता लक्ष्मी एवं भगवान विश्णू ने स्वयम ही
बाबा के रूप में अवतार लेकर
भक्तों के कश्टूं को हरने का
ये उत्तम उपाय प्रदान किया है
लक्ष्मी पती नारायन
अर्थात स्रिष्टी के पालन करता
भगवान विश्णू के अवतार
श्री साइनाथ महराज को मैं प्रणाम करता हूँ