जै श्री हरी भगत जनों आज मैं आपको सफलाई कादिशी के व्रत की महीमा सुनाने जा रही हूँ
इस व्रत को करने अथवा इसकी कथा सुनने मातर से ही जीवन से दुख, कष्ट, कलेश का नाश हो जाता है
सफलाई कादिशी की भगतों हम कथा सुनाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
कादिशी के व्रत की पावन महीमा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
कैसे लुंपक पापी को मिला स्वर्ग बताते हैं
हम गाथा गाते हैं सफलाई कादिश की भग तो हम कथा सुनाते हैं हम गाथा गाते हैं
ये कथा है बड़ी ममान सब सुनो लगाते जान इस कथा की है पहचान दिले मुहमाना वर्णा
जंपवति नगर का राजा महिश्मान थाना हाला पूजा भत्ती जनतां सेवा करता थानुश का
लुमपक नाम का उसका बेटा बड़ा दुराचारी
मदारी
तिरा मास का सेवन करता पापी था भारी
पर नारी के गमन में डोबा रहता था दिन रात
बुला के वैश्या महल में अपनी रहता उसके साथ
राजा प्रजा सभी दुखी थे नीच अधर्मी से
हो गई थी बदनाम वो नगरी अधम विधर्मी से
क्या होता है उसके साथ अब वही बताते है
पावन कथा सुनाते है सबलाई कादिश की भग तो
हम गाथा गाते है हम कथा सुनाते है
ये कथा है बड़ी महार सम सुनो लगाते ध्यान
इस कथा की है पहचार दिले मुह्मा ना वर्गा
महिश्मान राजा ने पत्र की देख के तेड़ी चाल
एक रोज फिर ख्रोध में आके राज से दिया निकाल
करके घोशना पूरे राज में फैला दिये बाल
नीच अधर्मी उस लुम्पक का कोई न देगा साथ
अपनी करनी पर पच्टाता चला गया वन में
सोचा ना था ऐसा भी दिन आएगा जीहन में
पीपल का एक व्रिक्ष था बन में जो था बड़ा विशाल
आते देव वहाँ पे प्रति दिन प्रात हसंध्या काल
करता है क्या वहाँ पे लुम्पक वो बतलाते है
पावन कथा सुनाते है सफलाई कादिश की भग
तो हम गाथा गाते है हम कथा सुनाते है
ये कथा है बड़ी महार सब सुनो लगाते जाद
इस कथा के है पहचान दिलें मुमांगा वरगा
भर्त जनों जब राजा ने बेटे को निकाल दिया
तो उसने एक पीपल के पेड के नीचे रहने का निश्चे किया
लेकिन अपनी बुरी आदतें वो फिर भी नहीं छोड़ पाया
फिर क्या होता है आईए जानते हैं कथा के माध्यम से
रहने लगा राजा का बेटा पीपल के नीचे
कल तक जिसके नोकर चाकर थे आगे पीचे
फिर भी उसकी एश्वर्य की आदते
नहीं गए पर नारी के गमन के उसकी चाहत नहीं गए
अपने पिता के राज में जाके करने लगा चोरी
स्त्रे कोई मिल जाती तो करता वो बर जोरी
पोशमस के कृष्ण पक्ष के दश्मी की है बात
लोट मार करने राज में पहुचा वो
उस रात पकड़ा जब सैनिकों ने फिर क्या हुआ दिखाते है
आपको हम दिखलाते है सपलाए कादिश की भगतो हम गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है
ये कथा है बड़ी महार सम सुनो लगाते जान
इस कथा की है पहचार दिले मुहमा ना वरदार
मारा पीटा वस्त्रों तारावन में भेज दिया
जंगल में लुमपक को नंगे तन में भेज दिया
लुमपक अब पीपल के नीचे वन में रहने लगा
पशुपक्षी को मार के अपने उदर को भरने लगा
अब आगे की कथा सुनो ऐसा सैयोग हुआ
उस लुमपक के अंगों में गठिया का रोग हुआ
अकड गए थे हाथ पाव चलना भी हुआ मुहाल
अब इश्वर की महिमा का तुम देखो माया जा
क्या होता है लुमपक का अब हाल दिखाते है
सब लाई कादिश की भग तो हम गाथा गाते है
हम कथा सुनाते है
ये कथा है बड़ी महाँ सम सुनो लगाते जा
इसका ताकि है पहचान दिले मुहाला वरदा
चलने से असमर्थ हो गया कैसे करे शिकार
कठिया वेदना के आगे थी मान ली उसने हाथ
कैसे शांत करे वो अपने पेट के उठती आग
किसी शिकारी के पीछे वो सकता नहीं था भाग
जंगल में से गिरे फलों को लुमपक लाया भी
बेपल की जडों में रखके बोला हो गंगी
हे इश्वर अब आप ही इसका आके लगाओ भो
तुम्हें नुवकरों ठीक होगा लुटना करके But No
उस दिन कैसे भूखा रहा वो तुम्हें बताते है
भक्तों तुम्हें बताते है
भो लाई गादश की भग तो हम गाता गाते है
हम कथा सुनाते है
यह कथा है बड़ी मामार सब सुनो लगाते ध्यान
इसका ताकि है पहचान दिले मुहवा ना वर्दा
सारे रात उसे नींद ना आई करता रहा भजन
गठिया रोग से लगता था निरजीव हो गया तन
सूर देव की बेला में आलोक एक द्रेश दिया
उतर रहा था स्वर्ग से भगतो दिव्य अश्व दिखा
प्रकट हुआ लुम्पक के आगे अश्व चमतकारी
गोंजे फिर आकाश से एक आवाज वहां भारी
सफलाई कादश का लुम्पक तूने किया पालन
जिसके असरस लुम्पक तेरा धन्य हुआ जीवन
बदल गए दिन लुम्पक तेरे हम समझाते हैं
भक्तो हम समझाते हैं
सफलाई कादश की भगतो हम गाथा गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सम सुनो लगाते जान इस कथा की है पहचान दिले मुहपाना वर्दा
लुमपक तू इस दिव्य अश्व पे होके अभी सवान बिना रुके तू तीव रगती से पहचा राज दरबान
राज में तुझको राजा जैसे मिले मान सम्मान एकादशी के व्रत के बदले मिले गए अनुदान
अपने पिता के पास गया वो होके अश्व सवान
पिता ने अपने पुत्र का भग तो किया बहुत सतपार
अपने पुत्र को राज सोप के वन को चले गये
तप में तपाने वो अपने जीवन को चले गये
कथा लिकी सुख देवने हम सब गाके सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
सब लाई काद शीकी भग तो
हम गाथा गाते हैं, हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान, सब सुनो लगाते जान
इस कथा की है पहजान, मिले हो वांगा वरदान