कैसा यह सफर है?
गायब हो जाओ तो मिलती ना कबर है
जब से हुआ लोक प्रियत अप से खोया कुद से
शान्प में रहा जैसे बुद में
नगा जल दाल के करूँ तुझे शुद में
कोई और नहीं कॉंपेटिशन मेरा उद में
निकता हूँ तब जब होता हूँ मूड में
लोग देखे ये लोग बोलते डूड में
लेकिन डूड बनने से नहीं चलता घर
चलने के लिए लेना पड़ता कर्स निकलना पड़ता घर से
बार बार बार की लाइट इतनी आसन नहीं है लोगों को लगता अपना सब सथी है
क्या बोलू तुमको मेरा कुछ भी सथी नहीं है जो भी है यही है इसलिए करता
रहता मेनत दिन राद दिल में जो है बात उतरू मैं प्लेने में इनको कुछ
भी अच्छा लगता सुनने में बचपन से हुँ पुन्ने में बुमा फीरा पला बड़ा
यहां मैं सोचा लिखा गाला पाड़ा माइक पे मेननत मेरी बोली हर एक
पाड़ा मैं जो भी कुछ इसी का सहा उतारा वो गाने में पुरा जोर लगरा
हुँ मनदिल को पाने में तरकी न करने के बस तू बहाने दे चलाने दे
जाने दे मुझे खाने दे बुरा मत कर किसी का और उन्हों को सहारे देगे
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