अगर आप लोगों की बात सुनेंगे तो लोग टांग खिचने वाले होते हैं
कभी आगे बढ़ाएंगे नहीं ना कभी आगे बढ़ते देखेंगे
सदेव ऐसे लोगों के साथ रहिए जो आपको सकरात्मक्ता से भरते हो
जो आपको पॉस्टिव एनर्जी देते हो
ये नहीं कि जो लकरात्मक्ता भरते उनके साथ रहिए
एक बार हुआ क्या
नारजी
वन में भ्रमन करते करते जा रहे हैं
तु देखा कि एक व्यक्ति जो है वो तबस्या कर रहा है
तबस्या इचनी गहरी सिमरा
राज के उसके शरीर में पूरा दीमक पैड़ गया था
नारजी ने देखा
इतनी तबस्या कर रहा है फिर भी बगवान आ करके दर्शन नहीं दे रहे है
शरीर में दीमक आ गया है
नारजी ने उस व्यक्ति से पुछा
माराज मुझे छमा करिये लेकिन मैं आपके तबस्या में विग्न डाल रहा हूं
मैं बैखुंट जा रहा हूं
आप बता दीजे कि आप भगवान से क्या मांगना चाहते हैं
मैं बैखुंट जा रहा था भगवान को बता दूंगा
और आते आते आपको बता दूँगा कि भगवान ने आपके लिए क्या संदेश आगे जाए
तो उस वेक्ती ने कहा कि भाई साब नारजी से कहा कि मराज
मैं भगवान की प्राप्ती चाहता हूँ
मैं भगवान को प्राप्त करना चाहता हूँ
नारजी ने कहा कि मैं आपका संदेश भगवान श्री हरी में कुंठवासी को दे देगा
और जो भी संदेश दे आते आते आपको बता दा जाऊँगा
नारजी आगे बढ़े तो जैसे ये आगे बढ़े मराज तो उन्होंने देखा
कि मार्ग में एक और वेक्ती तब कर रहा है
उसके भी शरीर में दीमक पड़ गए है दीमक लग गए है
नारजी ने उनसे भी कहा कि मराज आपकी तपस्या को मैं भंग करता हूँ
लेकिन आप ये बताईए कि आप किस मनो कामना से भगवान का तब कर रहे है
तो उस वेक्ती ने बताया कि मैं चाहता हूँ कि मेरी मुक्ती हो जाए
मैं मुक्ती के लिए तब कर रहा हूँ
नारजी ने कहा ठीक है मैं वेकुंठ जा रहा हूँ
भगवान श्री हरी को बताते हुए जो भी संदेश भगवान देखे वो सुनाता जाओंगा
नारजी पहुचे पहुचकर वेकुंठ से वापिस आए
जैसे ही वापिस आए तो दोनों वेक्तियों को सामने खड़ा किया
एक को कहा कि भगवान ने बताया है कि तुम्हे भगवान को प्राप्त करने में तीन साल और लग जाएगे
नहीं हुआ गया दूसरे व्यक्तिसे कहा कि भगवाद्ध श्री हरी ने कहा है कि तुम जिस पैड़ के नीचे खड़े ओ
उस पैड़ पर जितने पत्ते हैं उतने दिन लगेगी तुम्हारी मुंकति के लिए का है वह व्यक्ति जो है वह नाचने लगा
खुश होकर नाचने लगा, ताली ज़्या लगे. बस इतनले दिन, बस इतनले दिन हो खुँब नाचाsss
खुँब नाचा इतनले में हुआ गयाई कि आकास्छ वाणी आकास से हुई
आकास वाणी में अगवारी की वाणी में कहा की
बालक तुम्हारे
मुक्ति का समय
पुर्ण हो गया
प्रिष्ट में जितने पत्ते थे
उद्ने दिन पुर्ण हो गये
और तुम्हे अब मुक्ति मिल जाएगी
तुम इस कथा
को बदाने के यही दातपरिय
देखे एक वेक्ती नकरात्मक्रा
को अपने उपर
तो पेड़ में जितने पत्ते उतने दिन लगेंगे मुक्ति के लिए,
लेकिन वो क्या किया, नाचने लगा, खुशी से नाचने लगा,
बस इतने दिन कहके नाचने लगा, और उसकी मुक्ति हो गई,
तो सदेव सकरात्मक रहिए, सदेव,
कितनी भी परशानी आजाए, कितनी भी बड़ी समस्या आजाए,
लेकिन सदेव आनंद में रहिए, जो वेक्ति आनंद में हैता है,
जो वेक्ति सदेव प्रसन रहता है, उसे कभी भी किसी भी प्रकार की,
परिशानिया जो है, वो कमजोर नहीं बना पाते,
सदे वानं दमकन रहिए
अगर आपको लक्ष प्राप्त करना है
तो आपको नेगटिव लोगों से दूर रहना होगा
आपको सपर्ता प्राप्त करनी है
तो आपको नेगटिव लोगों से दूर रहना होगा
नकरात्मिक लोगों से दूर रहना पड़ेगा
झाल
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