सरी रात रुनी में
पल सुख नहीं पाया
सची दस वे धोला
कल क्यूँ नहीं आया
कल क्यूँ नहीं आया
सरी रात रुनी में
दर्दां ती मारी उठ दी ते महाँ जी
माही ती तस्वीर रख के सिराँ जी
लख वारी पुछीं अम्...
लख वारी पुछीं अम्...
में दस क्यूँ नहीं आया
सरी रात रुनी में
दर्दां ती मारी उठ दी ते महाँ जी
माही ती तस्वीर रख के सिराँ जी
लख वारी पुछीं अम्...
लख वारी पुछीं अम्...
में दस क्यूँ नहीं आया
सरी रात रुनी में
मैं सोनते दी सॉवरी
बूआ मलکे खलीया
सॉवरी उचीया ते
सॉवरี वलीया
सोनते दी सॉवरी
बूआ मल्के खलीया
सॉवरी उचीया ते
सॉवरी वलीया
बहुत जुल्ब की तई
बहुत जुल्ब की तई
मैं चाचे दजाया
सची दस वे धोना
कल क्यों नया
कल क्यों नया
साली रात रुनीय में
तैपू मिलें जी
की तिन तियारी
सुर्खी गवाँ धन तो
मगी हम उधारी
तैपू मिलें जी
की तिन तियारी
सुर्खी गवाँ धन तो
मगी हम उधारी
महदी विलाई
महदी विलाई ते
कचला भी पाया
सची दस वे धोना
कल क्यों नया
कल क्यों नया
सारी रात रुनियों में
पल सुख नहीं पाया
सची दस वे धोना
कल क्यों नया
कल क्यों नया
कल क्यों नया