काहे के चक्कर में भासे रुबावाल बनाते हैं।
कितने लोग सादु बन गया उसके अंदर भी चुट्टा पना जाता ही नहीं।
रोज सबको सिखाता रहता पढ़ाता रहता है कि मरत्त
लोख है और खुद के लिए सुन्शता हमर लोख है।
हरे सादु को तो पूरा साउधान हो जाना चाहता है।
कई जगह मैं सुनता हूँ जब सादु को बिवेकानंद की टर्श्ट
में मैं गया पोचने के लिए कि तुमारे ट्रश्ट का क्या है
इसका बायलास मुझे बताईगे। तो वो जो सादु वहाँ बैठा था वो
मेरे से कह
वो सुनाना शुरू किया धेड़ गंटा सुनता रहा
और मैं जोचा कब बीच में दाउं मिल में निकल भागूं
दाउं मिलने ही नहीं दिया वो सिम्घोसरफोसर कुछ बोला
वो बोला कि मेरे विवेकानंद के ट्रश्ट में भी एक चोर सादु आ गया
जो कोई पीड़ा सुणने था याद रखना पीड़ा थवार कम हो जाती
बोलिये सद्गुर भगवान की जैन,
दुखवन्यन सरकार की जैन,
सद्गुर कविर साहेब की जैन
मनोवाइज्ञानिक हमेशा तुम्हारी दुखों को सुनता है,
सुनते सुनते तुम्हारी दुखों को हलका कर देता है
कैसे गाड़ी लिया,
कैसे गार बनाया,
कैसे प्लाट करिदा,
कैसे बिजन्स फैलाया,
कैसे जीरो से हीरो बनाओ,
कैसे मेरा विकास हुआ,
ये भी किसी को सुनाना चाहिता है
तो मन को अच्छा लगता है,
तो थोड़ा सुन भी दिया करो।
मेरे गुरुजी प्रवचन बहुत कम सुनाते था।
वोई सबका प्रवचन सुनते बहते थे।
जो कोई आया अपना-अपना सुना के चला जाता था।
श्रीष में,
एक-दुशरी की उप्लब्द्यी कोई सुन करो। और
कभी-कभी उन्हें धन्यवाद भी देदिया करो।
आपने बहुत विकास किया, बहुत उन्नति किया,
वस्तो में आप बहुत लायक व्यक्ती हैं और
कभी-कभी अपनी बात भी उनको सुना दिया करूँ।
जो इस दुनिया के अंदर दो ही लोगों का आदर होता है
एक तो उन का आदर होता है
जो उन्नती करते हैं आगे बढ़ते हैं
भीड से अलग छट जाते हैं
जो गुणों के छैत्र में विशेस गुóणवாन बनते हैं
जो कर्म छैत्र में
विशेस कर्म योगी natural meritorious
जो चरित्र के छेत्र में चमकते हैं चरित्रवान बंताते हैं
यार रखन जो महंता की फिल्ड में
महन्ता की उचाई को चूते हैं
उनहीं का आदर होता है
बाकि सबका आदर नहीं होता है
कुन कुने पानी में खिच्चडी भी नहीं पकती है
खॉलते पानी में याद रखना
खिच्चडी तो खिच्चडी क्या
सब पक जाता है
तो इसलिए बहुत बड़ी विशेष उपलब्धी जब करोगे तो धन्यवाद
देने वालों की नाईं लगेगी विशेष काम करके दिखाओ
शेष काम तो सभी करने हैं विशेष करोगे आज इस
वेल और गाउं में ये विशेष कारिकर्ण हो रहा है
तुम्ही दोनों थे आपस में
क्या नाम बोल रहा हो?
65
अच्छा?
चलो बढ़िया रहा है, 65
और 65 के बाद 66 तो 1966 मेरा जनम दिन
या कहा वो 66 नहीं निकला, बढ़िया बढ़िया
दोनों बोल रहे थे कल हम टहलने जाते थे
तो अच्छा में बात कहा रहे थे
कि यार अपने बेलर गाँव में किसी अच्छे संथ को बुलाना है,
तो अच्छा कौन है?
तो ये तो सवभाग की बात जो उनके अच्छे की लिष्ट में मेरा नाम आ गया,
अगर जरस चूक जाते तो बहर हो जाते लिष्ट से,
तो बेलर गाँव नहीं आते फिर उदरी पूडी बेलते रहते रहे,
अच्छे संथ को,
शिर्फ उद्देश उनका ये था, अच्छे क
पर लाने वाला संथ चाहिए,
और कभीर पंथ के लोग भी जो निष्करी हो चुके हैं,
उनके अंदर तेस फैदा करने वाला संथ चाहिए,
तब उन्होंने हमको बलाये,
यही बात,
तो बल्देव साहू ने कहा की,
आपको यहां भक्ती बढ़ानी भी है,
रात भर सोंचता र
जो जिस भी पूधी में भी शत्संग होना है,
सीहावा में सब होना है,
लेकिन आप यहां थोड़ा हिम्मत से परवचन कीजें
तो में भी हिम्मत से आया हूँ
हिम्मत चाहिए सादु को परवचन में
तुमः मेरे मन्दिर
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