लगा है उरुस साबरी का
मची है धून कलियर में
नहाने जा रहे हैं सब
अकीदत के समंदर में
है जिनकी जोलिया
खाली मुरादे अपनी पाइंगे
कतारे
है लगी लंबी
सब फैज नंबर में
जमन में फूल बित्रे
हैं
आकीदत के चलो चुनलो यह मख़दू मुसाबरी की करामत मौमिनों सुनलो
जमन में फूल बित्रे हैं आकीदत के
चलो चुनलो
यह मख़दू मुसाबरी की कारामत मौमिनों सुनलो
तू मुसाबिर की गरामत मौमिनों सुन लूँ
वलि अल्लाह के साबिर रसून अल्लाह के प्यारे हैं
बड़ा है मर्तवा इनका बड़े जल्बे निराले हैं
जो इनके दर पे जाता है मौरादें दिल की पाता है
उसे खुशिया मिला करती सदा वो मुस्कोराता है
मेरे साबिर की अजमत पर ये उन्हीं नाद करती है
दर साबिर पे हर मंगते की किस्मत बदलती है
भया करता हूँ एक इस्सा में साबिर की करामत का
जमाने भर में डंका बज रहा इनकी सखावत का
सनद लेकर फरीदुछीन से जब आ गए साबिर
तो अल्हापाक ने भी इनके तावे कर दिया कलियर
खुदा की ऐसी रह्मत थी तनी एक नूर थी चादर
भूआ चर्चा था साबिर पाक का कलियर में अभुगरगर
मिली तालीम जो थी पीर से कलियर में पहलाई
मगर कादी शहर का आक भी करता था रुसवाई
जो साबिर पाक से जलते वो ही इनको सताते थे
अलि कहते न साबिर को वो जादूगर बताते थे
दिखा था पीर को एक खत सवाले किस तारां कलियर
बने कुछ लोग कलियर के हमारी राह के पथधर
दिखा ते राह जो इनको तो ये हमको सताते है
बली तसलीम न करते ये जादूगर बताते है
जब आवे पीर में लिखा था तुमको दे दिया कलियर
संभालो जैसे भी इसको ये साबिर आपके उपर
जुमे का दिन था जो साबिर गए थे जामा मस्चिद में
अभी पहुँचे ही थे साबिर वहाँ मस्चिद की तो हद में
मिला उनको शहर काजी तो देखा उसने नफ्रद से
नहीं वो बाज आता था कभी चुबली से वीवद से
शहर काजी ने मस्चिद के वहाँ लोगों को भढ़काया
बता करे उनको जादूगर था मस्चिद से निकल वाया
कहा साबिर ने कुछ भी ना वो मस्चिद से निकल आये
वहाँ जो बद आकीदा थे भवी वो मन में मुस्काये
जुमेदा वक्ति था साबिर खड़े मस्चिद के बाहर थे
वहाँ जो बद आकीदा वो सभी मस्चिद के अंदर थे
शहर काजी नहीं था जानता साबिर का था रुतबा
इशारा पाके हजरत का किया मस्चिद ने था सजदा
गिरी मस्चिद तुकलियर में हुआ कौराम बरिपा था
बच्चा जिन्दा नहीं था गोई भी अब बद आकीदा था
तब ही उनकी
मुरीदा एक रोती पीटी था यी
थे उसकी अश्च आँखों में बड़ी लगती थी धबुराई
वो आके बोली हजरत से मेरा भी बेटा आया था
क्या वो भी मरे गया तब के बुढ़ापे का सहारा था
कहा साबिर ने जाके देख ले तेरा जो बेटा है
दबा है मिट्टी के नीचे मगर बिल्कुल वो जिन्दा है
मुरीदा ने हटाई मिट्टी तो जलवाई देखा था
सलामत लाल था उसका करम ते निकला जिन्दा था
जो देखा लाल को अपने खुशी उसने मनाई थी
करमत मेरे साबिर ने ये कलियर में देखाई थी
बचे कुछ बद आकीदातों जमा अब हो गए सारे
वो साबिर पाक को दिन में दिखाना जाहते तारे
वहाती हरशा जादू गरीनी एव जादू खयलाती थी
वो ऐसे मारती मंतर के दिवाना बनाती थी
बड़े चरिचे कलियर में सभी ही उससे जरिते थे
उसके जादू को उसकी बड़ी शक्ती समझते थे
सबभ ये ही था कलियर में बड़ा ही उसका रुत्वा था
सभी तो ही वो प्यारी थी बड़ा ही उसका जल्वा था
बहुत चेले चापाठों को वो अपने साथ रखती थी
सिखा दी उनको भी जादू नहीं उच उनको कहती थी
दिखा गर उसने जादू को बड़ा रुत्वा बढ़ाया था
बड़ी मुद्धत में इतना नाम अब अपना कमाया था
वेली ऐसी बनबाई के बारिसे चमकती थी
गले में एक माला थी जो हीरे सी दमकती थी
था उसके हाथ में सोटा बनी एक उस पे मूरक थी
जो उसको देखता कोई लगा करती थी दैशक थी
भयानक था बड़ा चेहरा बड़ी सी उसकी आँखे थी
धैशक
था बड़ा चेहरा बड़ी सी उसकी आँखे थी
ठहल झाता था उस दम दिल जो लेती कहचा सासे थी
वो सारे बद्ध अकीदा अब इसी हरिशा को ले आए
मगनते वो सभी दिल में हकीकति ना तम जिपाए
उन्होंने अब तो जाधूगरिनी को सब हाल बतिलाया
करो ताबिर पे तुम हमला यही उसको था समझाया
ये जब उसे आए हैं कलियर करिश्मों को दिखाते
हैं दिखाकर अपना जाधू ऐहले कलियर को डराते हैं
परिशा है बहुत ही हम कोई जलवा दिता दीजे
लेही हम चाहते हैं इनको कलियर से भगा दीजे
वो जाधूगरिनी अपने इल्म पे बेहर थी इतराई
दिखाए अपने जाधू और अपनी माया फैलाई
चेले चपाधे वो भी अपने रंग में आए थे
सभी ने अपने अपने जाधू सागरि परिचलाए थे
जो जाधूगरिनी पे जाधू था उतने सारादमाया
मगर कोई ना उनमें से बोरा सागरि का करपाया
جلالِ کیف میں آ کر جو جھانا سا فصابری نے
اس کا علم غایب کر دیا تھا سارا سابر نے
بڑے ہی دور اجوا تھی مگر کچھ کر نہ پاتی تھی
زبان شل ہو گئی اس کی بہت آنسو بہاتی تھی
گری پیروں پہ آ کر کے علا الدین سادر کے
جو تھے چیلے چپاتے سب ہی اس کو چھوڑ کر بھاگے
کھڑے جو بد عقیدہ تھے پشمہ ہو گئے تارے
وہ بھاگے تم تبا کر کے بڑے ہی شرم کے مارے
گرے سابر کے خدموں میں سب ہی نے التجا کی تھی
مسلمہ ہو گئے سارے یہی مرضی خدا کی تھی
وہ جادو گرنی بھی سابر پہ اب ایمان لے آئی
مسلمہ ہو گئی وہ بھی یہ نعمت اس نے تھی پائی
رہی جب تک وہ دنیا میں نہ اس نے دین کو چھوڑا
کیا جو میرے سابر سے نہیں اس نے اہد توڑا
خبر موجود ہے اس تھی ابھی بھی لوگوں کلیر میں
قیامت تک زیا دے دی ہے اس کو میرے سابر نے
علیؑ الدین سابر کی بڑی عظمت نرالی ہے
نہیں جاتا ہے کوئی فیض ان کے دردے خالی ہے