मैं कुवें दे दर्थईया ढागे
ना किया यो मता कल यासा
देदे सितरे शजन ते खुशियां विच
किता रब मन जूर करल यासा
भावे असलम बेच तो सुन्य थी गई
तेदा आप वसावन धल यासा
तेदी मुझेच मात नजर दी
परेशान नथी मैं वल्यासा
जाल अरे पक्खियां दी
रोवना हर वेले बनिया जत नक्खियां दी
नां पेके नां सावन कोँचे घुल पईसाक्ते हन्दारी
रूल कियी नसीबा आमारी
नां पेके नां सावन कोँचे घुल पՈसाक्ते हन्दाری
रूल कियी नसीबा आमारी
नां पेके नां पेके नसीबा आमारी
कीटनी तेजां घारी आई माल सब सीदे बुल गये
गुदियां पटोले भुल गये
कीटनी तेजां घारी आई माल सब सीदे बुळ गये
गुदियां पटोले भुल गये
आके कोई तारब देना तेखान मिला हित्वारी
रुल गयी नसीबा मारी
ग्यांके परपूर्ण विश्त बजते हो या
जक्मी ना देक तलियां, वलके नलबीयां, गलियां
गलियां, वलके नलबीयां, गलियां
खण्डियां दे विश्थ बजते हो या जक्मी ना देक तलियां, वलके नलबीयां, गलियां
अपने सिर्वे सायां बाठों कुण करे गंखारी, रुल गयी नसीवा मारी, रुल गयी नसीवा मारी
सली कुण जनी मानी, रोगे कुण सुने भर्यां, दिल तो नलपीयां यादां, दिल तो नलपीयां यादां
सली कुण जनी मानी, रोगे कुण सुने भर्यां, दिल तो नलपीयां यादां, दिल तो नलपीयां यादां
ना कोई खानेंदा लगदा मिला, ना मिला कोई शारी, रुल गयी नसीवा मारी, रुल गयी नसीवा मारी
ना कोई खानेंदा लगदा मिला, ना मिला कोई शारी, रुल गयी नसीवा मारी
इचना दुलम बलोचां दे, औँ अपनी जानत ते गई, अकलां मरेनी रह गई
बावे होत बलोचां ते जी, केड़ें जुम दी यारी, रुल गयी नसीवा मारी, रुल गयी नसीवा मारी
ना बेखे ना थावरे पहुँची, गुल पहुँचते अंधारी, रुल गयी नसीवा मारी, रुल गयी नसीवा मारी
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