रूठ गई रूठ
तुझसे जुदा होके
दिल तूठा है
तेरे बिना रोके
जितनी दुआये मांगी थी
सब बेकार हो गई
तेरे बिना मेरी दुनिया वीरन सी हो गई
तेरे बिना जो पल है
जहर से गहरे लगते
तेरे प्रभवन जो सजाये थे सब बिखर के गिरते
मेरे आँसूं से भी ज़दा तेरी आद है गहरी
दिल के जखम सभी अब बन गए है सैमी
यही रूँ
तुझसे जुदा होके दिल तूटा है
तेरे बिना रोके
तेरे कदमों की आहत अब भी दिल में
गुञ्जती पर सच तो ये है तू
अब कभी ना लाकती
हर धड़कन पुकारे तुझे
तुझको पास लाने
मगर किसमत ने रोका है हमको तोड़ जाने
सारी बाते अधूरी सारी राते सुनी
मेरी दुनिया में अब बस तनहाईया बनी
क्यूं दूरी लिखी क्यूं जुदाई लिखी
तकदीर ने क्यूं ये कहाने लिखी