परशान सीप में मस्कुराहटे गुमसी गई
ये चादर की सिलवटे तेरी बाते करती गई
आई यादे वो मुलकाते कुछ लम है जिन में हम साथ थे
आई यादे वो बाते
तेरी रूह से प्यार था मज़े तेरे जस्म से नहीं नहीं
इश्क था तो इश्क ही करते मज़ से एहसान नहीं नहीं
तेरी रूह से प्यार था मज़े तेरे जस्म से नहीं नहीं नहीं
इसे रूठा नहीं मैं कौन हूँ मुझे क्या पता कभी ऐसा भी टूटा नहीं
आई आदे वो मुलकाते कुछ लंबे जिन में हम साथ थे आई आदे वो बाते
हाँ वो प्यार था है आज भी मगर तेरे हुसन से नहीं
ऐसी उलज़नों में है पड़े अभी कैसी कश्म कश्म में है ये जिन्दगी
परशान सी मैं मुस्कुरा हटे गुमसी गई ये चादर की सिलवटे तेरी बाते करती गई
आई आदे वो मुलकाते कुछ लंबे जिन में हम साथ थे
आई आदे वो मुलकाते कुछ लंबे जिन में हम साथ थे
आई आदे वो मुलकाते