हे रोम रोम में बसने वाले राम जगत के स्वामी हे अन्तरयामी मैं तुझसे क्या मांगूहे रोम रोम में बसने वाले रामआस का बन्धन तोड़ चोड़ातुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूँनात मेरे मैं क्यों कुछ सोचूतु जाने तेरा का जगत के स्वामी हे अन्तरयामीमैं तुझसे क्या मांगूहे रोम रोम में बसने वाले रामतुझ पर सब कुछ छोड़ चोड़ चुकी हूँनात मेरे जो मैंने पाया इन चर्णों में धामजगत के स्वामी हे अन्तरयामीमैं तुझसे क्या मांगूमैं तुझसे क्या मांगूहे रोम रोम में बसने वाले रामतुझसे क्या मांगू