एक प्रभू श्याम की बेटी अपनी सखी से कहन लगी के भेहना रोज रातने सोपन में मुझे खाटू नरेश दिखाई देते हैं
तो उसकी सखी कहन लगी बाने ये अपने घराले तो बता और बेबे दर्शन करकाओ खाटू श्याम बाबा का
नु बोली बान मन जकर करे अपने घराले ते नु बरेर बावडी आपा दबाला जी महराज के पुजारी हाँ
महंदी गुर्दर्बार में बाबा की कृपा सदेव रछती है
चाल महंदी गुर्मा दर्शन करवा लेवा आपने क्या कहा कि सुनो बहना मैंने क्या कहा और उनने क्या जवाब दिया
अपनी सखी के सामने कैसे अपनी वार्तालाप रखती हैं आईए कैसे
ए रोज रात ने सुपना वे बे बे लख दा तारी का
मैं बोली चल दोनू चाला मूड नहीं घरबारी का
मैं बोली चल दोनू चाला मूड नहीं घरबारी का
रोज रात ने सुपना वे बे बे लख दा तारी का
रोज रात ने सुपना वे बे बे लख दा तारी का
रोज रात ने सुपना वे बे बे लख दा तारी का
मैं बोली चले दोनू चाला मुरी नहीं घरवारी का
बाप बुलावे तू ना जावे बेदि बता हुसियारी कहा
बाप बुलावे तू ना जावे बेदि बता हुसियारी कहा
बाप बुलावे तू ना जावे बेदि बता हुसियारी कहा
लूप वल्या मैं सिवप की कोरी
बाला जी बलकारी का
मैं बोली चल दोनू चाला उड़ नहीं घरबारी का
खिरबान मैन भोली कि आ बाला जी जाओ मेरे साइए टिकटिक थक दे दो मैं खाटू नजरै मैं जाओं
न कैसे था था मूबाला जी छालाना मेरा टिकट टोंटे लही का बास किन छो'm
झालाना
मेरा टिकड कटा दे लारी का
नू बोल्या कट फेर चलागे
पक्त गणाला चारी का
मैं बोली चल दोनू साला
मुझे नई गरबारी का
जान गई जूठ पे कावे
नई बरोसा नारी का
जान गई जूठ पे कावे
नई बरोसा नारी का
जान गई जूठ पे कावे
नई बरोसा नारी का
लेके बाड़ा चाल पड़ी मैं
लेके बाड़ा चाल पड़ी मैं
जाम था शिकिर तो फारी का
मुली चल दोनू साला
मुली चल दोनू साला
मुल नहीं गरबारी का
मुली चल दोनू साला
मुल नहीं गरबारी का
खांत दाहं नए मैजा पहुची
मिल ग्या साथ पिजारी का हाँ
खांत दाहं ने मैजा पहुची
मिल ग्या साथ पिजारी का हाँ
खांत दाहं ने मैजा पहुची
मिल ग्या साथ पिजारी का हाँ
खांत दाहं ने मैजा पहुची
कमल सिंह नित सुकर मनाओ सरकार तेरी सरकारी का
मैं गोली चले दोनों चाला दूर नहीं गरवारी का
मैं गोली चले दोनों चाला दूर नहीं गरवारी का
रोखी रापी में सुपिन आया वै बेलक तारतारी का
मैं गोली चले दोनों चाला दूर नहीं गरवारी का
मैं गोली चले दोनों चाला दूर नहीं गरवारी का
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