कोई कोक जै कोई चिट्टी वे, कोई कोड़ी ते कोई मिठी वेरखी कर सजा के, रखी कर सजा के तू सत्रंगी दारूछड़ दे वे सरदारा, रोज नहीं चंगी दारूजद आजन चार पराणे हद ही कर देने, चट कड़ के बोतल टेबल उठे तर देनेपी के कड़ दे गाला, पी के कड़ दे गाला तेरी गंधी दारूछड़ दे वे सरदारा, रोज नहीं चंगी दारूतैनु वेख शराबी जान मेरी कब रौंदी वे, पर फिर भी तेरी बोतल रहा टकौंदी वेमैनु लग दे खरे ले आउंदी वे तंगी दारूछड़ दे वे सरदारा, रोज नहीं चंगी दारूहुण लाल अठोली वाले मन जा कहना वे, तू ती किलियां दा मालक कुछ ना रहना वेरोज तिरे तू पींदे, तिरे संगी दारू छड़ दे वे सरदारा, रोज नहीं चंगी दारूप्रस्तुत्र करते हैं