तेरी कोई बात न बुल्या
िल्ला
किसे ने आल ना पूछा
तिर बाद भी लोग गए से
किसे ते दिल ना तूट्या
सब कुछ मैं लुटा के बैठा
किस के तू हिस्से आई
लोगा पे लोग बते रे
लोगा मैं तू ना पाई
जित पहली बार मिले थे
कल आज बैठा था उत
दिल मैं खामोसी थी बस दिमाग मैं हला था बोत
सब कुछ ताशा में आ गया मेरा ना जोर था कोई
राजे का ताज लूट गया दिला का छोर था कोई
पच्च रहा था जितना भी कुछ तेरे सब नाम कराया
लग्या यो रोगी सा चो रोग ने बैद रवाया
लग्या जो रोगी सा
रोग ने बैद रवाया
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