रोड पिलाई के निकलें जब फट्टूनार गारी
काई हम तो जग्लाई चस्तउनते तरिए बाउचों और यहां हता है
कलई काफिला हमरे पीछे सत्तर गारी
यूपी के हर गली गली में रहे डबडबा
सुल्तानपुर की सेर है हम सब पे भारी
लेकिन बढ़ा दिलवाला हूँ
सब के जुबापे खाली मेरा हिला
मैं सब का चहता दुलारा हूँ
सब के जुबापे मैं करता हूँ राजहानु राग मैं बढ़ा दिलवाला हूँ
तुमा हम करते मैं पूरा जाम जाम जाम
सासन पर सासन को मैं
रात रात की देर साउटी गाउं में पढा गाहे
जब सोती निधीया सब के कैदे इहां राम
जड़ा परोसी देखें के हम के सीना ताने के निकली
घर से देखें के हम के वहाई परसान
हर गरीबों को देता निवाला हूँ
सब के जुबापे खाली मेरा ही लाप
मैं सब का चहता दुलारा हूँ
सब के दिलों पे मैं करता हूँ राज
मैं ज्झुल और पड़ा मतवाला हूँ