प्रेमी साथ्यों की सेवा में ए रोमेंटिक राजनी आपके बीच और हाल बताया है किसी गाउं में साली आ जाती हैं किसी सादी में और सज समर के जिस्तेम निकली
तो उस समय का क्या हवाला क्या लिख दिया कवी पंडित नरेशन कोशिक ने अपनी साली को वो मन चला क्या कह रहा है आईए सुनते हैं रागणी के माध्यम से क्या लिखा है बड़ा
अरे गोरी करचाली सिंगा
गोरी करचाली सिंगार गल में पहरानों लकः हार रोडा मच गया लिलू की साली का
गोरी करचाली सिंगार गल में पहरानों लकः हार रोडा मच गया लिलू की साली का
गोरी करचाली सिंगा
गोरी करचाली सिंगा
मौत देब बिन दिया
मौत देब बिन दिया
मारे गजब रूप की मार जो बन दो दारी तलवार
दामन जच्रया रे जच्रया रे सम की जाली का गोरी करचाली सिंगार
गण में पहरा लो लखार रोडा मच गया रे मच गया लिलू की साली का गोरी करचाली सिंगार
बनारस की साली पल्लू उड़ उड़ जावे
बोती की मोहन माला बड़ी लेहरावे
बनारस की साली पल्लू उड़ उड़ जावे
बोती की मोहन माला बड़ी लेहरावे
ना गनबन गी सुतरी चाल हाथो में ले रुमाल
ना गनबन गी सुतरी चाल हाथो में ले रुमाल
मन को महुँग्या नकराता निराली का होडी करचाली सिंगार
गण में पहरा लो लख हार रोडा मच गया रे मच गया
दिलू की साली का गोरी कर चाली सिंगा
गुमर बाल खावे लड़के लगे गोरे गात में
चांद सा चमका जनू उनम की रात में
गुमर बाल खावे लड़के लड़के लड़के
गुमर बाल खावे लड़के लड़के लड़के
रोडा मच गया रे मच गया दिलू की साली का गोरी कर चाली सिंगा
गुमर बाल खावे लड़के लड़के लड़के लड़के
रोडा मच गया रे मच गया दिलू की साली का गोरी कर चाली सिंगा
रोडा मच गया रे मच गया दिलू की साली का गोरी कर चाली सिंगा