सो जारे ललना सो लाऊं तो भृणा हम कलना
सो जारे ललना सो लाऊं तो भृणा
गोड़े से सावन के बैठे मेगराजा आईगा
मेगराजा आईगा और मोटी बरसाईगा
मोटी बरसिंगे आई धान नहराईगा
धान भर आईगा
और मुन्ना भाथ खाईगा
आज ते ये दुखडे रहेंगे मुन्ने कनना
सो जारे ललना सो लाऊं तो भृणा
सो जारे ललना सो लाऊं तो भृणा
सो जारे ललना सो लाऊं तो भृणा
देख तुझे ये ज्यानी सक्नों की राणी आई
उस देख ज्याहा बर्भोने देखे सजाई
आया था ज्याहा से मेरा बर्भेसी जाही
आज भे दुखरे रहेंगे मुन्ने कलना
सोचा रे नैले ना चुलाऊंगा रे पलना