कहहे
काहे इतना तू रोवेलू ना रात के जान सोएलू ना प्यार पांच आई
काहे इतना तू सोचेलू रसाती रे इस साथ न छूटी हो नहीं आके
न बंदन तूटी हो
हम अरतो हर मीलन न केवँ जग में रोक पाई
जिनगी में न काबो पगली आबे दिवजुदाई
सच में कहा था ही ना नागी
न बंदन तूटी हो रसाती रे न साथ छूटी हो नहीं आके न बंदन तूटी हो
दू जिसम बानी हमनी के एक ही बाते जान हो
दूर कैसे कादी के होना इतना आसान हो
दूर कैसे कादी के होना इतना आसान हो
दू जिसम बानी हमनी के एक ही बाते जान हो
दूर कैसे कादी के होना इतना नाआसान हो
देखात रह जाई अस ही ये दुनिया जाहान
बाप्यार के अपन गबाही देखा धर्ती आसमान
रे साथी रे इस साथ न छूटी हो नहीं आके न बंधन तूटी हो
रे साथी रे
न साथ छूटी हो नहीं आके न बंधन तूटी हो