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Ravan Ne Mahadev Se Kaisa Prashan Pucha

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Lời bài hát: Ravan Ne Mahadev Se Kaisa Prashan Pucha

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

मा समायुतो कोपिने पन्थ ते भुजहा कोपि कर्मा विधानेन की द्रिशो यद गती नमे
रामण ने भगवान संकर से का का एक प्रभु एक जानकारी चाहता हूँ
कि भगवान संकर में का पताओ बहाब बगवान राम जब लंका है तो पूजा की है किसकी ही आप
कि इसकी पूजा आपके पूजा बीठा चाहिए पोजा कैसे किए कि किस प्रकार से किया विक्ति में
कहा लिंग धाहर भिद्धमत करेद जूगआ लिंग शिव समाया
भागवान राम जी कहा है जब लंका है तो संक्र भगवान को स्थापित कर गया चाहिए स्थापना करवाने को गया था रामण गया था
और रामण ने कहा सरकार हमी स्थापना करवाने गए जो उन्होंने आपकी पूजा की और उनके मन के भावों को आप जन करके उनको सब देखें
जबकि उनकी पूजा और मेरी पूजा में बड़ा अंतर है राम कितनी देर पूजा करता है
ये बर्म है रामायल का प्रशंद है राम कितनी देर पूजा करता है
कासब्ध में यत्यति ठानाव यागति मनुरुच्यती
कितनी देर तक पूजा करते हैं
जितनी देर तक तीर्थ में
सूर्य का प्रकास जब फैलता है जैसे
किसी जल में तो जल जितनी देर तक
लाल रहता है अच्छा लाल कितनी
देर तक रहता है जादा जदा
आधा गंटे वही जब सूर्य भगवान
निकलते हैं तो उसी समय जब जल पे प्रकास पड़ता है तो रग्ड
युग्ध हो जाता है आदे घंटे और रामर ने कहा बैक कितनी देर पूजा करता हूँ
रामर ने कहा जब मैं पूजा पर बैठ जाता हूँ जब मैं पूजन पर
भगवान ने उत्तर रामण को कितना सुंदर दिया है
कहा रामण तेरी पूजा और उनकी पूजा में अंतर क्या है
कहा हाँ कहा सृष्टि यत्र बिनासाना
पूजनम तवदर सनम
तुम जब पूजा करने आते हो तो तुमारे मन का भाव ये रहता है
कि पढ़ोस वाले भी सब मर जाए ये भी राज्य हमारा मिल जाए
और रामण जब पूजा करते हैं सब
कहा रामण जब पूजा करने आते हैं
ना तो वो ये मांगते हैं कि प्रभो पूरा विश्व साम्त रहे
पूरा विश्व अजय रहे
पूरा विश्व अमार रहे
तो रावण ने का
इसमें कौन सी बड़ी बात होगी
वो अपने लिए नहीं मानते
दुनिया के लिए मानते हैं
भगवान ने का
रावण इसतिति यही होती है
जो अपने लिए जादा मानता है
मैं देता हूं तो उसे सब हूँ
लेकिन देने के बाद
एक तिर उसी को ले लेता हूँ
वो भोग करने के लिए रही नहीं जाता
और जो दुनिया के लिए मांगता है
उसको फिर
अपने लिए मांगने की आवसकता
नहीं हो गिए
बगवान संकर की पूजा यदि आप छन्युक्त करते हैं तो कोई फल मिलने वाला नहीं है।
शिव पुराण के लिए भोज करते हैं।
कहा निस्का महा सुद्धि मापनोती सुद्धया क्यान संसया।
बगवान संकर की पूजा करने बैठे हैं तो तीन चार जीज़े पहले तो सुद्धात्मा हो जाएगे और संसय का परिक्त्यात कर दीजे।
अगर संसय आपके मन में रहा तब भी आपकी पूजा सुद्ध नहीं हो सकते हैं।
और महाराज जो इन सब को छोड़ करके, जो इन सब को छोड़ करके, संसय और सुद्ध मनाओं करके एक बार बगवान संकर का यजन कर ले तो शु पुराण कहती है।
चंद्रायणम सहस्त्रम तू प्रम्भलोक पदंविदु हो।
सहस्त्रम कुटुमपश्य प्रतिष्टा छत्री स्वरेद।
चंद्रायणम एक प्रत होता है चंद्रायण प्रत।
चंद्रायण प्रत बड़ा ही कठिन ठीक होता है।
कि नंदिकेश्वर कहते हैं कि यदि एक बार व्यक्ति अपने जीवन में शुद्ध बनाओ करते हैं
कि एक बार शुद्ध बनाओ करके भगवान जंकर का प्रत कर ली तो चंद्रायन प्रत के बराबर पूरने की प्राप्ति होती है
और महाराज सहस्त्रस्य कुटुम्बस्य प्रतिष्ठा छत्री स्वरेत उसके बाद उसको जाने दीजिए उसके कुल परिवार में भी जो जन्म लेगा ना
कमेशा विशुद्ध मना होगा और भगवान जंकर का भक्त होगा उसके जीवन में कभी महाराज किसी प्रकार की धरिधरता
का आगमन नहीं होगी उसके बाद महाराज नन्दृ केश्वर बताने लगे प्रत्तेक वारों का वर्णन करते हैं और वारों के
वर्णन के उपरान्त नई-वेद्धि का विचार करते हैं क्यों भगवाँ को नई-वेद्धि कितना लगाना
चाहिए यथा आत्मनी तथा देवु न
तक भगवान मानेंगे जैसे छोटे से लड्डू को पाल होते हैं ना तो माराज उनको नहलाए धुलाए और नहला धुला
करके उनको मांगले के लिए करते हैं माराज सहर में घर भी चाहिए धन भी हो जाए दोकरी भी हो जाए भगवान
में लड्डू को पाल बच्पन की मूर्ति होती है कि अजय को जब भोग लगाएंगे तब भगवान वाला भाग दिवांत से चला जाता है
तब पता है तो भगवान को क्या देंगे वह खड़ी-खड़ी वाली मिश्री जो होती है ना मिश्री-मिश्री वह दो चार-चूसी
में किसमिश डालकर रख देंगे भोग लगाएंगे अब आप सोचो अगर लगातार आपको किसमिश खिलाया जाएगा और मिश्री
खिलाया जाएगा कितनी देर तक खाओगा बिना दांत वाले को तो जाने दीजिए हम लोग नहीं खा सकते हैं नहीं खा सकते हैं
कि अजय को उसके बाद भगवान तो मांगेगा इतना बड़ा-बड़ा मिश्री का दाना कितना दस दाना मिश्री दो किसमिश
हर अब मैं नहीं हूं हूं हूं हूं को फिर फिर कहा ताक है नीव मैल माथ्य को सर्व कुंडवा वान था जब भी आप भगवान
अगर आपके घर में हैं चाहे सालीक रामों चाहेश प्रदी हो कोई भी एकर पंपल है कोई भी है
जैसे संक्र जी है यहां पर तो यहां के परिवार वालों को चाहिए कि पूजा के बाद एश करते हैं दुपाहर का भोजन
उनको पहले समर्पित कर और उनको रख करके फिर भोजन हो चाहिए यह तथा तथा तब तो वह भगवान है तो वह आपको
को खाने को देंगे और नहीं आप अगर उनको थोड़ा सा गुड़ो मिसरी में टरकाएंगे तो आप भी उसी गुड़े मिसरी में पस जाएंगे

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