नहीं बनना राम मुझे
मुझे बस रावन ही रहने दो
आप सना
महाकाल का भाव ही
हां
लंकापति लंकेश में
चारों वेदों का ग्याता परपला राचचासstream
स्कुल परवेश में परवेश में इस बेस में
सर्वसेष्ट मैं पुरे देश मैं पुराई का प्रतीक हूँ
हूँ रक्त से दोता केश मैं
जानी पंडित पकड़ उद्वान
सव ग्रहने चत्र मुझे मित जान
पूजू सिव को मैं लुटा के जान
महदेव काम मैं हूँ परदान
बैहीन मैं मेहरद रूप काले करम तनसेक रूप मेरे
सामने जपोया खड़े बरसू फिर मैं मरमरत सुरूप
कोई परकार को सर्ट समश जरती है
और मैं मुझे सामने
युपा सामने जपोया काम मेवी काम को झासतकण गलिनी जपोई एक परकार भाथ गलिनी
प्रमान्द ये सब सुन है उस सुन का आकार मैं रहपन से सदा दूर
मैं थर पाप्ती का उधार मैं तयार मैं हर बार मैं विद्धणस की
तलवार मैं सिव तांडव का निरमाता मैं तांडव मेरी ललकार मैं
ग्यान और बल का अविमानी मैं स्वेम काल की कूंपानी मैं सरवस्�
जो जीवन के अंतिम जिन तक अपना मस्तक किसी के आगे चुक ले न दे
जो वीरो की भाथी लड़ते हुए मर जाए
उसके जीने में भी शान है उसके बर्णे में भी शान है
काल जिसकு कहाना updated करेगे
Aur जिसके ज़्यान KAREGE
क्या तविद्वार हां मैं रावन
मैं हूँ दसारे रावन
मैं हूँ दसारे रावन