बोल कृष्ण कनहिया की जैओ मेरी सुधली जो नंदे लालामेरी सुधली जो नंदे लाला रटू तेरे नाम की मालाभीड़ पड़ी मैं भगत जनौं केभीड़ पड़ी मैं भगत जनौं केभीड़ पड़ी मैं भगत जनौं केमेरी सुदली जो नंद लाला रटू तेरे नाम की मालागज योर गाल जल अंदर लड़ते लड़ते गज हाराओ मोहन लड़ते लड़ते गज हाराजो भर सुन रही जल उपर तोतेरे नाम की मालाओ मोहन लड़ते लड़ते लड़ते लड़तेजो भर सुदली जो नंद लड़ते लड़ते लड़ते लड़तेओ मोहन को तरी भी जब नरसी के भिज़वाई रे मोहननरसी के भिज़वाई रे मोहन नरसी के भिज़वाईसवा पेर को नेकी वर्सा सिरसा में करवाई ओ मोहनसिरसा में करवाई ओ मोहन सिरसा में करवाईजिसने लो इश्वर ते लाईइस वर्ते लाई हुया हिरते मैं युजियालामेरी सुदली जो नंद लाला रटू तेरे नाम की मालापड़ी सबा मैं त्रोपत सुता की तुमने लाज बचाई ओ मोहनेतुमने लाज बचाई ओ मोहनेरथन जोड कुंदन बुर के रुकमन की बंद छुडाई ओ मोहनेतेरे नाम पे मीरा भाई पी कई विशक का प्यालामेरी सुदली जो नंद लालारथन जोड कुंदन बुर के रुकमन की बंद छुडाईतेरे नाम पे मीरा भाई पी कई विशक का प्यालारटू तेरे नाम की मालामेरी सुदली जो नंद लालारटू तेरे नाम की मालारटू तेरे नाम की मालाअवगास है मारातेरे बिना ना ओर सहारातेरे बिना ना ओर सहारातू ही एक रुखालामेरी सुदली जो नंद लालारटू तेरे नाम की मालामेरी सुदली जो नंद लालारटू तेरे नाम की मालापीड पड़ी मैं भगत जनों केभीनामेरी सुदली जो नंद लाला रटू तेरे नाम की माड़ा