Nhạc sĩ: Traditional
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मंगल भवन अमंगल हारी
द्रभू सुदस्हरत अचरु भिहारी
राम सिया राम सिया राम जैजैराम
हर्यनन्त हरी कथानन्ता
कहि सुनही बहुबिधी सब संता
राम सिया राम सिया राम जैजैराम
भीड पड़ी जब भत पुकारे
दूर करो प्रभु दूख हमारे
दशरत के घरजन मेरा पतीत पावन सीतारा
विश्वामीत्र मुनीश्वर आये
विश्वामीत्र बूप से वच्छन सुनाएं संग में भेजे
लक्षमन राम
राम सिया राम सिया राम जैजैराम
वन में जाये ताड़ कामारी
चर्ण छुआई अहिल
या तारी रिशीयों के दुख हर तेरा
जनकपुरी रघु
नंधन आये
नगर निवासी धर्शन पाए
सीता के मन भाए राम राम सिया राम सिया राम जैजैराम
रघु नंधन ने
धनूश चड़ाया
राजाऊं का मान घटाया
सीता ने वरपाए राम
पतीत पावन सीतारा
परशुराम क्रोधित हो आये
दूश्ट भूप मन में
हरशाये जनकराज ने किया प्रणाम
राम सिया राम सिया राम जैजैराम
बोले
लखन सुनो मुन ज्ञानी
संत नहीं होते अभिमानी
मीथी वानी बोले राम
पतीत पावन सीतारा
लक्षमण वच्छन
ध्यानमत दीजो
जो कुछ दन्द दास को दीजो धनुष तोडईया मैं हूं राम
अपनी शाकि मुझे दिखलाओ
जूवत चाप चड़ाए राम पतीत पावन सीतारा
हूई उर्मिला
लखन की नारी
शुत कीर्ती रिप सूधन प्यारी
हूई मांडवी भरत के बाव
राम सिया राम सिया राम जै जै राम
अवधुपुरी रघु नंधन आये
घर घर नारी मंगल गाये
बाराह वरिष विताये राम
पतीत पावन सीतारा
गुरुवशीष्ट से
आग्या लिने
राजतिलक्ष की तयारी कीन ही कल को होंगे
राजा राम
सिया राम सिया राम जै जै राम
कुटिल
मन्थरा
ने बहकाई
कैकैने यह बात सुनाई
लेदो मेरे दो
भर्दार पतीत पावन सीतारा
मेरे विनती तुम सुन लीजो
भरत पूत्र को गधी दीजो
होत प्रात वन
भेजो राम राम सिया राम सिया राम जै जै राम
धरने गिरे भूप ततकाला
लागा दिल में शूल विशाला
तब सुमन्त बुलवाए
राम
पतीत पावन सीतारा
राम्
पतीत
राजा के तुम प्राण प्यारे
इनके दूख हरोगे सारे
अब तुम वन
में जाओ राम
पतीत पावन सीतारा
वन में चोदहां वरश बिताओ
रगु कुल रीति नीति अपनाओ
आगे
इच्छा तेरी राम
सियाराम
सियाराम जैजैराम
सुनत
वचन राघव हरशाए
माताजी के मंदिर आए
चरन कमल में किया प्रणाम
पतीत पावन सीतारा
माताजी मैं तो वन जाओ
चोदहां वरश बाद फिर आओं
चरन कमल देपूं सुख धाम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
शूल सम
जब यह बाणी
भूपर गिरी कोशल या रानी धीरज बनधा रहे श्रीराम
पतीत पावन सीताराम
सीताजी जब यह सुन पाई
शंग महल से नीचे आई
कोशल
या तो हीया प्रणाम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
जैजैराम
चूक शमा कर दीजो
वन जाने
की आग्या
दीजो
सीता को समझा तेरा पतीत पावन सीताराम
मेरी सीख सिया सुन लीजो
सास ससुद की सेवा कीजो
मुझ को भी होगा वीश्राम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
मेरा
दोश बता प्रभु दीजो
संग मुझे
सेवा
मेलीजो अरधांगीनी तुमारी राम पतीत पावन सीताराम
समाचार सुनी लख्षमन आये
धनुष बान संग परहम सुहाये बोले संग चलूंगारा
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
राम लखन
मिथिलेश कुमारी वन जाने की करी तयीयारी
रत्थ में
बैठ गए
सुख धाव पतीत पावन सीताराम
अवधुपुरी के
सब नरनारी समाचार खुदारी
समाचार सुन व्याकुल भारी
मचावध में अतीको हराम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
श्रिंग वेरुपुर
रघुबद आये
रत्थ को अवधुपुरी लोटाये गंगा तट पर आये राम पतीत पावन सीताराम
वेवट कहे
चरन
धुलबाओ
पीछे नोका में चड़ जाओ
पत्थर करदी नारी राम
सियाराम सियाराम जैजैराम
लाया एक कथोता पानी
चरन कमल धोए
सुख मानी
नाव चड़ाये लक्षमन राम पतीत पावन सीताराम
उत्राई में मुद्री दीनी
के वटने यह बिनती कीनी
उत्राई नहीं
लूँगा राम
सियाराम जैजैराम
तुम आए हम
घाट उतारे
हम
आएंगे घाट तुम्हारे
तब तुम पार
लगईयो राम पतीत पावन सीताराम
भारदाज
आशम पर आए
राम लखन नेशीष नवाए
एक रात की नाम ही शाम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
भाई भरत आयो ध्याए
जुब बच्छन सुनाए क्यों तुमने वन भेजे राम पतीत पावन सीताराम
शीत्र कूट
रखुनन्दन आए वन को देख सिया सुख पाए मिले
भरत से भाई राम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
अब धुपुरी को चले भाई
यह सब कैकै की कुटिलाई
निकदोश नहीं मेरा राम पतीत पावन सीताराम
चर्ण
पादुका तुम ले जाओ
जाकर धर्शन फल पाओ
भरत को कंठ लगाए राम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
आगे चले राम हर घुडाया
निशाचरों का
वन्श मिटाया
रिशीयों के हुए पूर्ण का पतीत पावन सीताराम
अन सुनाई की कुटियाए
दिव्यवस्त्र सियाने पाए
था
मुनियत्री का
वेहधा राम सियाराम सियाराम जैजैराम
जैजैराम
मुनी स्थान आए रघुदाई
शूर्पनखा की नाक कटाई
खरदूशन को मारे राम पतीत पावन सीताराम
पंच्वटी रघुदाई नंदन आए
कनकम्रीग मारीच संगधाई
लक्षमन तुम्हे बुलाते राम
सियाराम सियाराम जैजैराम
रावन साधु
वेश में आया
भूखन
मुझ्घो बहूत सताया
भीक्षा दो यह धर्म काका
पतीत पावन सीताराम
भीक्षा लेकर
सीता आई
हात पकड रत में बैठाई
सुनी कुटिया देकी राम
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
परिवार्णा के बिन व्याकुलताई
एप्रियसीते चीखे राम पतीत पावन सीताराम
लख्षमन सीता
छोड नहीं
आते
जनक दुलारी नहीं गवाते बने बनाए
विगडे का
कोमल बदन
सुहासिनि सीते
जड़हत रहेंगे
जीते लगे चांदनी
जैसे गाव पतीत पावन सीताराम
सुनरी मैना
सुनरेतो उता
मैं भी
पंखों
वाला
होता वन वन
लेता धून्धतमां
राम सीया राम सीया राम जैजैराम
शामा हिरनी तू ही बता दे
जनक नंदनी
मुझे मिला दे तेरे जैसी आखेंशा
पतीत पावन सीताराम
वन वन धून्ध रहें रघुदाई
जनक दुलारी कहीं ना पाई
गीधराज ने किया प्रणाम
राम सीया राम सीया
राम जैजैराम
चक्चक कर फल
शबरी लाई
पतीत खाएं रघुदाई
ऐसे मीठे नहीं है आम पतीत पावन सीताराम
खरी
हनुमत आए
चरन कमल में शीष नवाए
कांधे पर बैठाए राम
राम सीया राम सीया राम जैजैराम
सुग्रीव से करीमिलाई
अपनी सारी कथा सुनाई
अली
पहुँचाया निजधा
पतीत पावन सीताराम
सिंघासन सुग्रीव बिठाया
मन में वह अती हरशाया
वर्शारीतू आई
है राम
राम सीया राम सीया राम जैजैराम
ये भाई
लक्षमन तुम जाओ
वानदपती को यूं समझाओ
सीता बिन व्याकुल है राम पतीत पावन सीताराम
देश देश
वानर भिजवाये
सागर के तट पर सब आये सहते भूख प्यास और घाव
राम सीया राम सीया राम जैजैराम
भातीने पता बताया
सीता को रावन ले आया
सागर कूद गए
हनुमा
पतीत पावन सीताराम
कोने कोने
पता
लगाया
भक्त विभीशन का घर आया हनुमान ने किया प्रणाम
राम सीया राम सीया राम जैजैराम
अशोक वाटी का हनुमत आये
विज्च तले
सीता को पाए
तू बरसे आठोंयां पतीत पावन सीताराम
रावन संग
निशा चिरिला के
बोला समझा के
मेरी और तो देखो भाव राम सीया राम सीया राम जैजैराम
मन्दोदरी बनादू दासी
सब सेवा मेलंका वासी करो भवन चल कर विश्राँ
पतीत पावन सीताराम
चाहे मस्तक कटे हमाराम
मैं नहीं देखूं बधन तुम्हारा मेरे पावन सीताराम
मैं नहीं देखूं बधन तुम्हारा मेरे तनमन धन है राम
सीताराम जैजैराम उपर से
मोद्रिका गिराई सीताजी
ने कन्ठ लगाई
हनुमान ने किया प्रणाम पतीत पावन सीताराम
भूख लगी फल खाना चाहूं
जो माता की आग्या पाँशूं
सबके स्वामी है श्रीराम
पतीत पावन सीताराम
सावधान हो
कर फल खाना
रखवालों को
भूल न जाना निशाचरों का है यह धाव
सियाराम सियाराम जैजैराम
श्रीहनुमत ने वीच्छखारे
देख देख माली
ललकारे
मार
मार पहुचाए धाव पतीत पावन सीताराम
श्रीराम पतीत पावन सीताराम
श्रीराम श्रीराम जैजैराम
सीता को तुम लोटा दीजो
उनसे शमह या चुना कीजो तीनो लोक के सामीरां
पतीत पावन
सीताराम
भत
विभीशन ने समझाया
रावन ने उसको धमकाया सनुख देख रहे हनुमा
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
रूई तेल गृत
बसन मंगाई
पुछ बाध कर आग लगाई
पुछ घुमाई
है
हनुमा पतीत पावन सीताराम
सबलंका में आग लगाई
सागर में जापूछ बुदाई
हिदय कमल में राकेराम राम सीआराम सीआराम जैजैराम
लोट कर आए
समाचाद रघुवर्धने पाए
जो मांगा सोधी आएना पतीत पावन सीताराम
आनदरीच
संग में लाए
लख्षमन सहीत सिन्धू तट आए
लगे सुखाने सागर राम
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
सेतु कपीर नल मील बनावे
राम राम लिखशिलात रावे
लंका पोहचे राजाराम
पीत पावन सीताराम
अंगद चल लंका में आया
सभा
बीच में पाव जमाया भाली
पूत्र महाबल धाव
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
रावन पाव हटाने आया
पिरपाव
उठाया शमा करे तुझ को श्रीराम पतीत पावन सीताराम
शाचरों की सेनाई
गरज गरज कर हुई लड़ाई
वानर बोले जैसी आराम
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
इंद्रजीतने
शाती चलाई
धरनी गिरे
लकनह मुर्चाई
चिंता करके रोए राम
पतीत पावन सीताराम
जब में अवधः पूरी से आया
बाविताने प्रान गवाया
वन में गई
चूराई बाव
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
भाई तुमने भी छिटकाराँ पर प्रावश्चित करें
जिवन में कुछ सुख नहीं पाया सेना में भारी तोहराँ पतीत पावन सीताराम
जो सन जीवनी बूटी लाए
तो भाई
जीवित हो जाए बूटी लाए गाहनुमां
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
बूटी का पता न पाया
परवत ही
लेकर के आया
काल ने मी
पोचाया धाव पतीत पावन सीताराम
भत भरत ने बान चलाया
चोट लगी
हनुमत लंगडाया
मुख से बोले जैसीयाराम
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
बोले भरत बोहुत पच्छता कर
परवत सहीत बान बैठा
कर
तुम्हें मिला दूं राजाराम पतीत पावन सीताराम बूटी लेकर
हनुमत आया
लखनलाल उठ शीष नवाया हनुमत कंठ लगाये राम
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
कुम्भ करन उठ करतब आया एक बान
से उसे
गिराया इंद्रजीत पहुचाया धाँ पतीत पावन सीताराम
दुर्गा पूजन
रावन कीन हो नो दिन तक आहर
नलीन हो
आसन बैठ किया है ध्याँ
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
रावन का व्रत खंडित कीना
परमधाम पहुचाही दिना
वानर बोले जैसी आराम पतीत पावन सीताराम
सीताने हरी
दर्शन कीना
चिन्ता शोक सभी तजदीना हस कर बोले राजाराम
रावन सीआराम सीआराम जैजैराम
पहले अगनी
परीचा पाओ
पीछे निकट हमारे आओ
तुम हो पती व्रता हे बावा पतीत पावन सीताराम
सीआराम रावन सीआराम जैजैराम
फिर
पूष्पक वीमान मंगाया
सीता सहीत बैठेर घुराया
दंडक वन में उतरे राव
पतीत पावन सीताराम
रिशिवर सुन
दर्शन को आए
स्तुति कर वो मन में हरशाये
तब गंगा तट आए राम
सीआराम जैजैराम
नंधी ग्राम पावन सुत आए भत भरत को वचन सुनाए
लंका से आए है राव पतीत पावन सीताराम
कहो वीप्र तुम कहां से आए
ऐसे
मीठे वचन सुनाए
मुझे
मिला दो भईयाराम
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
अवधुपुरी रगु नंधन आए मंदिर
मंदिर मंगल छाए
माताऊं को
किया प्रणाः पतीत पावन सीताराम
खाई भरत को गले लगाया
सिंघासन बैठें रघुराया जग में कहां है राजाराम
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
सब भूमे विप्रों को दीनी विप्रों ने वापस देदीनी
नम्ह तो भजन करेंगे राम पतीत पावन सीताराम
धोबीने धोबन धमकाई
विप्रों ने अह सुन पाई
वन में सीता भेजी राम राम सीआराम
सीआराम जैजैराम
वाल्म की आश्रम में आई लगोर कुष हुए दो भाई धीर वीर यानी बलवाई
पतीत पावन सीताराम
अश्व मेग यग कीनाराम
सीता बिन हो
सब सुने कामा
लव कुष वहां लियो पहचान
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
सीताराम बिना कुलाई
भूमि से यह विनाय सुनाई
मुझ्च पो अब दीजो विश्राम पतीत पावन सीताराम
सीआराम जैजैराम
पतीत पावन
सीताराम जैजैराम खजार वरश परियंता
राज कीनह श्रीलक्ष्मी कन्ता फिर वै
कुंठ पधारे राज कीनह श्रीलक्ष्मी कन्ता
फिर वै कुंठ पधारे राज कीनह श्रीलक्ष्मी कन्ता
राम सीआराम सीआराम जैजैराम
सब ने गती पाई
शर्णागत प्रति पाल करा
पतीत पावन सीतारां
सब भतों ने लीला गाई
मेरी भिविन
सुनो
रखुराई
भूलूनही तुबारानां
राम सियाराम सियाराम जैजैराम
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