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अजय को अजय को अजय को
भगवान श्री राम जब
सोने के म्रक को मारने के लिए जा रहे हैं
उस से पहले लचमण से कहते हैं लचमण
जंगल में बहुत से निशाचर घूम रहे हैं
तो तुम सीता की रछ्चा करना,
लेकिन कैसे करना,
तो वहां उन्होंने बेवेक शब्द का प्रियोग किया है,
बल का प्रियोग किया है,
और बुद्धी का प्रियोग किया है,
और समय का प्रियोग किया है,
चार बाते ध्यान रखना चाहिए,
ये केवल लच्मन के लिए नहीं है
पूरी स्रष्टी के नरनारी सब लच्मन ही है
क्योंकि सब की जिन्दगी में कोई न कोई लच्च है
और उस लच्च में बाधाएं भी आती है
उन बाधाओं से निपटने के लिए ये चार चीज़ों की जरूरत है
बुद्धी, बल, बिवेक और समय के अनुसार डिसीजन
तो राम जी क्या कहते हैं
ये लच्मन
गादो चोपाई, आनंद आजाएगा
सीता केरी करेओ रखवारी
बुद्धी, बिवेक, बल, समय बिचारी
ये लच्मन सीता जी की रच्चा करना
लेकिन कैसे करना
बुद्धिमानी के साथ
और बिवेक पूर्वक
ऐसा भी नहीं है कोई राहगीर निकले
तो तुम बान मार दो उसको
थोड़ा बिवेक भी करना
सोच लेना, बिचार कर लेना
कौन सा आदमी जा रहा है
केवल बुद्धी का प्रियोग करोगे
पता चलेगा कोई अपने रास्ते जा रहा है
उसी का बद कर दिया आपने
जो विक्ति सीताची के उपर आकरमन करना चाहेता है
कुछ खत्रा पहुचाना चाहेता है
तो उसको कंट्रोल करना है आपको
और कैसे कंट्रोल करना है
अगर बल की जरूरत पड़े
तो बल का प्रियोग कर देना
कहीं कहीं बल का प्रियोग करना पड़ता है
सीता केरी करे ओ रख्यवारी
बुधी बिबेक बल समय विचारी
और समय का भी विचार करना
की ये समय कैसा है
इस समय में क्या करना चाहिए
कुछ लोग समय का विचार नहीं करते है
कि वक्त कैसा है इस समय
और बिना विवेक की जगड़ा कर बैठते है
और जगड़े में पता चला
खुद ही पीटे गए
नुक्षान उठा गए
तो विवेक भी कीजिए
और बुद्धी का भी प्रियोग करिए
और समय को भी देखिए
कि इस समय हमें क्या डिसिजन लेना चाहिए
इस समय गम खाना चाहिए
कि थोड़ा पीछे हट जाना चाहिए
कि इस समय ततकाल हमको कंट्रोल करना चाहिए
चोटी सी चौपाई है
तुलशी दास
बहुत बुद्धिमान विक्ती है
बहुत विवेक्वान विक्ति है
जैसे ये पुलिस जमान है
ये राम लश्मन की रूप में बैठे हुई है
आप देखो
वहाँ सड़क पर बैठे है
टीवी स्क्रीन में फोटू आ रहा है
चारों को एक साथ कंट्रोल करो
तो ये
समय
और बल
और बुद्धी और विवेक
ये सब चीजों को पर बिचार करते है
कहा क्या प्रियोग करना चाहिए
कैसे करना चाहिए
तो यहां आश्रम की रखवाली में लगे है
आश्रम केरी करेओ रखवारी
बुद्धी विवेक बल समय बिचारी
सीता केरे करो रखवारी
सीता माने
ये अश्रम में सीता कौन है
ये संतों के अंताकरण की शांती का नाम सीता है
और ये शांती रूपी सीता की रच्छा के लिए
यथोचित जैसा बुद्धी विवेक बल समय के उनसार ठीक हो
वैसा डिसिजन लेकर के कार करना
लेकिन शांती भंग न हो
सीता का हरण न हो
शांती समाप्त न हो
शांती की अस्थापना का ध्यान रखना लच्मन जी
लच्मन जी एलर्ट हो गए
धनुष पर बान चढ़ा कर बैठ गए
कि अगर कोई खत्रा होता है
तो बान चढ़ाने में भी टाइम लग सकता है
अब जैसे पुलिस जमान अपना राइफल लेकर बैठ गया
गन लेकर बैठ गया तो ठीक है
अगर उसके कम बुद्धी है
तो इसे हाँ थलावत आएगा हुआ है
खीसे काड़ते
और कोई खत्रा हुआ
तो खुदे भागा है जोर से कि राइफल कहा है
अरे एक मिनट में काम फाइनल होने वाला
आप राइफल ढूढ़त बुद्धो अदमी
अपना आउजार लेकर बैठो
तैयार रहना चाहिए
अब मुझे राइफल ढूढ़े गयी
इसी को कहते हैं बिवेक
बुद्धी बिचार करना
समय बिचारी
तो हमें आपको
हमेशा बिवेक पूर्वक सभी कारी करना चाहिए
और बिवेक पूर्वक कारी करोगे
आपको सब्सक्राइब
आपको फलता भी मिलेगी
आपकी उन्नती भी होगी
आपको सामती भी मिलेगी
आपका सम्मान भी होगा
सद्गुरु कवीर सहेब भी
यही साफ बात बताते हैं
करई बिवेक सोई जन बंदा
सहेब कहते हैं
जो बिवेक करेगा
वही हमारा बंदा है
हमारा दास है, हमारा शिष्य है, हमारा भक्त है
कवीर साहिब कहते हैं
वही बंदनी भी है, बंदा के दो अर्थ है
बंदा माने, सेवक भी होता है, भक्त भी होता है, दास भी होता है
बंदा का अर्थ होता है कि
उसी का वंदन होगा, उसी का सम्मान होगा
जो विवेक पूर्वक काम करेगा
और जो बिना विवेक उल्टा पल्टा
तो हर विक्ति के लिए विवेक आवश्चक है
इसमें ऐसा नहीं है किसी एक के लिए
सब लोग विवेक पूर्वक वहे