Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650
सती बैठेला पण कथामा ध्यान नहीं आपेलू,
इतले अनु नाम श्रोता मा ती उदल्यून।
आयवा क्यारे संग सती जगजणनी भवान।
कथामा बैठा पण साथे,
पण अगस्तमहराज नी कथा केवल शिवेज सांबले,
सती ने तो बैसू पड़े।
मन कथामा नहीं।
एक पुर्व ग्रहाँ शु कथा कहा है?
अगस्त जी ना तरप,
एक जुदो जह भाव थयी गया।
कथा पूरी थयी।
अगस्तमहराज ने मारे कहीं का अरपण करवा जुई,
एतले अगस्तमहराज ने पूछी,
महराज, मुझे आपने कहीं आपू,
और ये वस्तु आपने उप्योगी नथाई,
तो तकलिए।
इनकर तम्हें मारी पांसे कहीं का मांगो,
मारे कथा नबदला महराज कहई
पत्र, पुष्प, अरभन, प्रभुन,
आप कुछ मांगे, प्रुभून!
अगस्त जी, भारत ना रुशी छे,
बारत नरुशी मांगे,
किम मांगो?
बार बार, शिवजी कहई, महराज, मांगो,
एतले, आप जी इच्छो तया,
अगस्त महराज ने एक वस्तु जयये छे,
पण यमने मांगु नथे,
बगवान शिवजी ने कहई, महराज,
मु मांगीष तो नही, कहन के मारू वरत छे,
पण बगवान नी भक्ती विशे उम आपने पूछु,
आप मने भक्ती विशे कहो,
मैं आपने कथा कही, आप भक्ती विशे कहो,
आम जय भक्ती विशे पूछु है,
अधिकारी जोई बगवान शंकर जी,
अगस्त जी ने भक्ती नु दान करीं,
आम कथा सामरता, अने भक्ती नी कथा कहता,
बगवान शंकर त्यां गणू रकाया बगवान,
एक दिवस बगवान शिवजी ये,
अगस्त पासे थी लिदाय,
मुनि सान विदा, मांगिती बारी,
चले उभवन संगर दक्ष कुमारी,
एक दिवस बगवान शिवजी ये,
लिधाव सर भजण मरतारा,
अरी रधू वंसे,
लिधाव सर भजण मरतारा,
अरी रधू वंसे,
लिधाव सर भजण मरतारा,
एक वार के काडू भाई,
समभू गई भजरी श्वान,
एक वार के काडू भाई,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,
समभू गई भजरी श्वान,