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ये भरदवात जी एक वार त्रेता युग मा भगवान शनकर जी ने राम कथा शरवन करवानी इच्छा थैतिति कैलास उपर यमने सती ने कहु देवी भगवत कथा सामढवा अगस्तरुशी न आश्रम मा जईयेजग जननी भवानी शिव जी ने साथे बन्ने जन त्रेता युग मा राम कथा सामढवा अगस्तर जी न आश्रम मा गयाअहिं ती शिव चरित्र न आरंब करेरामायन न आदी सरजक भगवान शिव जीकैलास न शिखर उपर बहसनार अतली उती गाधी शोभावनारराम कथा शरवन करवानी इच्छा थयी तो नीचे उतरीअने छेक दक्षिन मा गयाअगस्तर नास, कथा नु महत्व बतालअतली चाली ने गया कथा समल्वानइन्हिंतर पोते तो कथास सर्जक्क छेकोई कहाए कि हमने भवानी ने कथास समलाववी यथीइतले गया, बारिकि पताने शो सामलवानतो एने भवानी ने समलाववी यथी, तो पोते जी कथा कही दिदी होपर कड़ा शिव जी ने लागी वहसे, कहा जी अधिकार समपन नहीं करवइतले दूर गयाअत्मा तो एनवार्थ एं थाये, कथा मोटे भागे, अपने त्या नदियों ने किनारे, जंगल मा, आशरमों मा थतीथोड़ू चाली ने जवू पड़े, आखु मनो-विज्ञानिक रित थीकथा थोड़ी दूर होई, त्या जवू पड़े, तो कथा नी जिग्नासा बराबर समझा एतलो समई, समर्ण करता करता, मारे कथा मा जवू है, मारे कथा मा जवू है, समय सर नहीं पहुंची, तो एक कथा नो समर्नहरत है, एतलो समर्ण, एतलो समई, समर्ण चालू रहे,मोटे बागे मंदीरो दूर होई, एमाई पाँचा टेकरा उपर होई,एमाई एना पगथ्या होई, अवदू अखी बुद्धी परूक नु महात्मा उन आयोजन नतु,एतला उपर, नहीं तर तो घणा लोगो टिकाय करे जन,एतला उपर, नहीं तर तो घणा लोगो टिकाय करे जन,एमाई वर्द्धपूर्ष वा कयं चडि शके, पण नहीं आखी द्रफ्ती अथी,करे कर बवु सरस वात छे,एक तो परवत उपर मनबीर, मनबीर उपर पासु शकर,शकर उपर बडि दणड, दणड उपर धजा, अतली बदी धजा उंची करवा नहीं सी जरू,पण एक धजा दूर थी जोए, एक मयल थी माणस पकडाई जाए, कहया कोई देव बयतहो है,धजा नी अर्थ छे, धजा मोटे भगे, आम तरासी तीर ना बलका जयवी वहईस,इना अर्थ धजा एम कहये के तु गममे तेतलो नास्तिक हो,बकि मारी अणी तने अडी जाए, इतले तरे इतलु तव मानु उपडशे, कहया देव मंदिर लगईस,उम तने पकडि लईस, तने मनो, मनसी करयते पकडि लईस, धजा जवय अतले मानस नमि जाए, यथि यमानस गरतार थ�दन्य चे महा पुरुष्मु कथा संबलवा आयो चु, तमे वकता बनवा ना चो, नियम परमान तो मारे तमारी पुजा करवी जुये,वकता नी पुजा शुरोता करे, मु शुरोता बनिन आयो, पण दन्य छे वकता बनिन तमे शुरोता नी पुजा करो, तमे �नोतो तो इससमाई काड़ि आयो, एतला माते खोडकं वावनावनावनावनावनावनावनावनावनावनावनावन�तमे तो मने बगवत कथा औने बगवत गुणगान गावानो अवसर आपयओ छेमाते दन्यवाद समारमभ हुई ओजू चु आज दन्य मे धन्य अती जदपे सब विदि हीन काग वशन्दी कहे मारु शरीर काग�हंस कथा कहे न कागडा कथा संबले तो समजी शकय बुद्धी मजगनपर रामायन मा उळतू कागडओ कथा करे न हंस कथा संबले नसवामी ओ हई ए उपदेश आपे न सवक संबले ए समजी शकयपर रामायन मा सवक उपदेश आपे न सवामी संबलेकथा तव करांती करे कथा कयि सामानि नति एतला माते बलदएल करवापरकरवापरवापरवापरकरवापरवापरवापरवाप�बकी मने खबर नोती के यनी व्याक्य आवी तवतीव्यास जी रोउथे, परवापर जी के नेत्रो भरेशुक्देव जी जैरे करषण चरित्र मा डूवेसएतलू जने करषण चरित्र कहईअने शुक्देव जी विश्राम वकते गंगा ने किनारे जता थाकयरे महत्मा उभासी जुतासिगंबर दशा माएबाल योगी ने जवा माते संतो हाद जओडी नुभारे थापण तयरे हद चहईजती तीजररे शुक्देव जी पसार थे जययवयात ने परआशर एनी चरण धूळ लईद मतक परवसदु लोगो की आखे जन ने शुक्देवजन ने शुक्देवपतर ने चरण धूळ लईद मतक परव