Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650
प्रेमी, राम प्रेमीयों, ज्ञानी पुरुष्णा चरण जरूर पकड़े।
अवश्च, साचो प्रेमी तो बदाने वन्दनज करे, पहलो अर्थ.
अन बीजो अर्थ, यागनवल्क ना पग पकड़े आपन,
तयरे यागनवल्क भरदवाजी ना आशरम मायवा त्यारे,
एतले के अनुराग नहीं, अनुरागी ना आशरम मा ज्यारे ज्ञान पधारिव,
पछी तो एना पग पकड़े,
पण, अनुरागी नहीं जवु नथी पढ़ी,
ज्ञानी नहीं आववु पढ़ी,
एतले प्रेम नी सिद्धता बतावे,
नर्शी मेटा मादे परसिद्ध कथा जना,
हरिशकेशना सन्यासी आववे ला,
नर्शी मेटा नहीं जना गड़ मा मलय,
नर्शी मेटा गयवह मेवू संबलू जहे,
तमे परयम भक्तिने जग बधारे महत्त्व आपव चो,
तो पछी शू घनान नकावू छे,
नर्शी मेटा गयवह मेवू क्या कयवू,
मु एमा शू जाओ,
मु तो खले करषण नाम लवू छे,
मु तो खले करषण नाम लवू छे,
बोले नही तमे परेम भकती नी खुब सरषतत बताओ,
तो सबित करो,
जन करता भकती सरषत,
एक कय आर्थ ना,
नर्शी मेदा गयव,
बाब जी, एक मारू कामत नथी,
मेन कुछ कहए नी,
महराज, आपनी वात सरषत होत ने,
तो मारे जुनागड छओडिन, रशी केश आवू पड़त,
पण रशी केश छोडिन,
तमर जुनागड आवू पड़ु,
वरना तो मैं आता,
आप गंगा का तट छोड कर यहां आये,
यही तो स्रिष्टा है,
स्रिष्टता है भक्ति की,
प्रेम की,
और प्रेम मारग सर्व स्रिष्ट मारग,
ज्ञान देना,
वेद मां त्रन रस्ता छे,
ज्ञान भक्ति,
ज्ञान उपासना,
और कर्म,
पर प्रेम एक जुदो जरस्तो छ,
रामायन में कथा हो से,
तयर उम विष्टार करीश,
एक सखी,
सिता जी नी साथे पुष्प वाटिका मा गई,
और राम ना धर्शन करी गय,
पचि राम ना धर्शन करय,
पचि अमने सिता जी नवाद करी,
चालू उम तनने राम देखालू,
सिता जी ने राम ना धर्शन थया,
पचि एनने राम ना धर्शन थया,
जहनतो ज्ञान, कहनतो भक्ति,
कहनतो कर्म,
पण पयली सखी ने राम ना धर्शन कय मारग थी थया,
उसने तो कोई मारग ने पयदा किया था,
सिता जी ने तो जररे बयता यू तयर थययू ने,
पन जने परथम राम ना धरशन थया,
एसखी ने कय मारग थी,
एसखी नो मारग थो, परहम मारग,
नतो ज्ञान था, नतो भक्ति, नतो करम,
परिती पुरातन लखय नकोई,
परहम मारग थी पथिक थे,
अन तेथी या पहला पहगी गई,
तो, एक परहम मारग थे,
जयन चरन, जयन आश्रम मा विवित्यों ने आवू पडे,
ज्ञानीओं ने आवो पडे,
एक नानु एवं प्रेम नगर है, गोकूळ,
जहा उद्धोने आवू पड़े,
राधा नहीं गई,
यश्वदाजी नहीं गई,
उद्धो कौन पड़ा,
निर्विवाद वात छ,
गोकूळ मा आवू पड़े,
करण छ, प्रेम की सिरिष्टता वदाई,
प्रेमे मानस बदाने वनदन करे,
पर पहला ज्ञानीयों ने प्रेमी ना आश्रम मा आवू पड़े,
याजनवल्क परम विवेकी छ,
अनुराजी ना आश्रम मा आगा छ,
पदवाजी एने पगे लागी स्वागत करी,
बेसाढया बाबजी, उम आपने विदाय नहीं आपू,
बबजी मारा मनमा एक समदेश और शनका छे,
आपना आतमा वेदो ना बदा रहस्यो छे,
जगत आखा ना रहस्यो तमारी मुठ्य मा छे,
आप हो तो एक परश्ण पूछो,
मारा मननो समशय जतो नथे,
आप समशय निर्मूड करो,
ना एक समशय बड मोरे,
तरगत वेद तत्र सब तोरे,
आपना आतमा वेदो नु तत्र छे,
मने पूछता भै लागे,
लज्जा लागे काऊ पूछाए,
पूछो तो अकल्यान थाए,
तारी बगडि जाय माते,
बाब जी, मु आपने आगल स्वू चुपाऊ,
आप राजी खुशी ति कहो, तो एक परस्ट पूछो,
चुपाऊ वी शक्तो नथि,
करण, मै आपने पुझ्य महना है,
और रामायन नो नियम है,
संत कहई, अस निति परभु,
शरति पुरान, मनु गाव,
हो हिन बिमल, बिवेक,
उर गुरु सन गिये दुराव,
संत, शास्त्रो, मनु महराज,
बधाए, आक सुत्र आपु छे,
के पताना गुरु नी आगल,
जे कहनी छुपावा मा आवे,
तो एवा माणस ने कोई दिवस,
सचु ज्ञान पराप्त चरू मती,
बहु सुणदर बात करि गर,
गुरु नी आगल कहि छुपावा ने गरस,
आतो गुरु कोई ने माणव ने,
माणया पहचि छुपावा,
गुरु ने आगल वयक्त थे जरव,
आतमा नो सवभाव छे अळव आतम,
तो उन तमे खुटा दबावी जरव,
आतमा नो सवभाव छे अळव,
आतमा ने भार गमतो जनते,
कोई ना चरण मा जहर थे जरव,
अन्ते आतमा शु,
सरेक रिते माणवी ना मननो पण सवभाव छे,
मनने बोज गमतो जनते,
आतमा ने तमने बदू लाजव छे,
करोड पती माणस वहे,
पतान गरे आगे,
अनु सुवा जाए तर कोट, पइंट ना बूट पयरिं सुवे,
विशरम कयरे दहै,
बदू फयंकी दे, खली लुंगी पयरिं सुवे,
अळवो थया वगर विशरम जनती,
एम जगत ना बदा बूज निकलय वगर विशरम शक्क जनती,
क्योंकि आतमा का सवभाव है, अळवो थया,
नहीं तर एम नम बदं पएर इन सुवे तो,
माणस रलवो बनसे, खुला वस्त्रो पएर से,
शरीर उपर थी बद्दू, मालाव वसवे तो काड़ी नागे,
गुरू नी आगल कही चुपाओ,
आपनी कथा जना,
लाखा एक गुरू ना तरफ भेद राखियो,
लाखा लओयर ने कथा मान,
माणस ने कोड निकले,
पसि तो गुरू सह ना,
गुरू तो करपा नु मनदेर चे,
अमार राम चरच महनस ना उतर कांड मा लखयू छे,
काँग बुशंदी महराज उजजेन ना महकाल मनदेर मा पता ना अनुभव गुरू टने कहे,
कहइ, के उम शीव नाम नो जब करतो हो, अने हमा मारा गुरू देव आगा,
वयदी कता, पण राम करषण मा, राम शीव मा, एने भेद नो तो, हरिअर मा, भेद नो तो, मने भेद अतो,
काग पशन बी जी, आतम कथा काएजे, अने उम अभिमाण मा, अभिमाण मा, महकाल ना मंदीर मा, शिव जप करतो, तो मै
काग भशन्डि जी, अने शाप आकलचारचाल.
काग भशन्डि जी, एवि कथा जन,
शाप सामलता शिशने मलेला, शाप ने सामलता, गुरुदेव रडि पडया सहू।
बगवान शनकर जी नि रुद्रास्टक दवरा सतूति करि।
बगवान शनकर जी परसन थया, बरामण देव ने कयू विपर वरदान मांग, शु आपू।
काग् बुषण्डी जी ना गुरू ये मांगणी करी, पहला तो आपनी भक्ते आपो, अने पचि एक बीजु वरदान आपो।
तथास तु भक्ती नु वरदान, अने बीजु वरदान मांगो, तयरे कहयू के गममे तेम तो या मारो शिश्य थी।
परभू यने तमे शाप आपो जे, मारा शिश्य नु कल्यान थयवू करू।
गरू न सबाव जे, पचि अनुग्रह थयवू जे, शाप मा फोडो सुधारो थयवू जे,
गरू न सबाव जे, पचि अनुग्रह थयवू जे, शाप मा फोडो जनवू जनवू जनवू जनवू जनवू जनवू जनवू जनवू जनवू जन�
येने मारा माती कितलू करिये जी गुरू नु समरण थता कागवू शण्डी जी अस्वस्थ बनै जी
एक सूल मही विशरन कावू
वातू काहे इत उत भटके रे
गुरू नाम सुमिर मन डटके
गुरू नाम सुमिर मन डटके
क्या मैं इया भटका करे?
गुरू शरणांगती लईले जी
लाखा एक अपराद करेओ
और पसि एवी कथा जर
कल्यान करवा माटे
काशी मा 12 वरस सुधी अना गुरू यततप करे
आवो इतिहाज
एक शिष्ष ना कल्यान माटे
गुरू नी जवाबदारी थयय
शिष्ष ना कल्यान नी
नेतर तो गुरू नी टिका करता
तुल्सी दाज जी उतर कांड मा लक्यू छे
सव गुरू गोर नरक मह परई
शिष्ष ना पईसा ने हरे
शिष्ष नओ शोक नहरे
एनु कल्यान नकरे
एनु कल्यान नकरे
तो एवा गुरू ने नरक मा पडवं पडवं पडवं
लक्यू छे सव गुरू ने आगल कहि छुपावू ने
12 वरस पचि
लक्यू ने गुरू आगल हतरे
एदो त्यां काया थहई हमने
शरिर ने अतू एववने उकरी
मरकयहनो अरत
जने गुरू मानी एने पासे
कहने चुपावी एने
चुपावा ने वरति वहई त्या सुधि कोई ना
वला मा पेलू करिये ने
विध्यार करये है
अने चुपावी ने मिलवेलू
ये तक्तु नथी
करण ने खबर पड़ी के
परशुराम जी
शतरी ने विध्या बनाओता नथी
ब्रामन ने थे बनाओता
परशुराम जी ने खबर ने
करण एक ब्रामन नु रूप ले थी
परशुराम जी ने खबर ने
एक मने कया ब्रामन से विध्या बनाओता
परशुराम जी ने खबर ने
करण एक ब्रामन ने
करण ने पगने किडव करडे
करडव करडे
करडव करडव
लोही निकलव
परशुराम जी ने पगने निचे गयव
परशुराम जी ने करम गरम लगयव
एतले एकदम उबह थयगयव
वक्स विटे
एतलो परशुराम जी खिलाादतन परशुराम
परशुराम जी घित्तका गलडद
परशुराम जी खिलााद परचास
परशुराम जी है
मात्यत्तक
मात्यत्तक
परशुराम जी दुरम
परशुराम जी कहा
गुरू गी
गुरु
गुरू
गुण
हिना
सो
पुछवन्द
अज हिंम
कुछ कुछ
अज हाव मुझव
कुछ
धोव
याक्न वाल्क
शी
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