Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650
महाराज विश्रजी कोई बोवन यानि कई-कई ना बोवन तरफ आयेगी सानंद भनी ने ?
मन्थ्रा ये महाराज ने प्रणाम करे आज ?
पूछू देवी मन्थ्रा देवी क्या राणी क्या ?
मंत्राय कोई महाराज राणिया गुदाना दिल्ली वातन में थोड़ी करे, कोई बूवन मा सुताज, कोई जन्या नती और जनी शकी नती, कोई पूछू चो तो गुस्सो करे, अच्छा हुआ आप आदे,
कोई बूवन मा पूतानी राणिया चे शब्द सामर्का महाराज विश्रव जी दुरुजी गंज, कोई बूवन मुश्किली मा मुकाया चे, कोई बूवन बोले आँ, बाबा जी ये लिखू चे,
कोई बूवन मा पूछू चे, कोई बूवन मा मुकाया चे, कोई बूवन बोले आँ, बाबा जी ये लिखू चे,
कोई बूवन मा सुनिशा कें चे, कोई बूवन मा सुनिशा कें चे,
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
जो कभवा में सुनिशा कूछे रावू
कल्पना करो जे दोरड़ा आशे ये दोरड़ा नो सूप हतो
ये तो अबोल है बोलता ना
तेली छास वलो गाए तो ये दाई तो बोले ये नो आवाज पण आए
पर दोरड़ा तो तुटी गाई छे उठे
एन समुद्र मन्फन करी करे सत्पो ना नेत्रा थे
आज प्रेमनु अमृत दिनिया ने आप्पा माते
बरक ना समुद्र में वलो हुआ
वनवाश रूपी मंद्राचल पर्वत मुको हो से
पण एना नेत्रा मा मा कई कई ने लिदा से
भुजन दे और नेत्रा ने जे सहन करूँ पड़े
सर्प मृत्यु पाया
तो जब वे लोगो के लिए उन्हें सर्पना नेत्रा करे आज प्यारी तो ये सर्पनी शुद्ध शाह था
ये के एक आंक्रों तुटी गएवा से
ये के एक मनो रख छिन्द भिन्न खयावा से
ये के एक आशा चूर चूर थाईवा से
इतली थे मां कई कई एक प्रेम रूपी अमृत जगत में मढ़वा माते रामायी मुझे मन्खन छे
ऐनों नेतुरू बनी छे ऐनों पूर्व परिचय फुल्सिदा जी यहाँ फिर
माना हूँ सर्प
रेहिरे बढ़ानु इर्पानु परिशतु पानु पतु
बोकरण दाराशा वैज्ञान क्या लाइक हो जासको और
मिर्च उल्प अल्फ उल्प शांत्र जी जाना दिवरधान
तुलसेँरू तैशु अरटावू भरते ठे
कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो
श्वगजी काम को आयुती के राणियों ने कारवार छुएं सभेगवार खई दिया है चार विख्रा चारी ने प्रणाई दिदा कर दो कि वक्त पंज काम कर दो करदी कर दो भाईज़ अपने नियम
से शास्त्री के
प्रणाई
प्रथम पुत्र ना लगन थाये, पुत्र वद्धु घर में आये, पछी माता पिताई वालप्रस्थ बन जाओ, रशियों ना अविदा नियम होता है।
पुत्र वद्धु आया पछी माँबात संसार की विरती लग ले।
आशिद्धांच, मिश्रजी ना वालप्रस्थोर थाई रहा, चार बीक्रा पहली गरुवे रहा।
अनुछताँच, कई कई मा काम कोई तुक जुवे, अमारामराज्जी क्या थी थाई।
आशिद्धी बलबला में परेशान कर तो जी कई नहीं व्यवरणम करूँचे।
मगश कर, मगश कर पंट, बुरे खेम को टपंठ, बुरे जंगन में ना कर, बुरे माड़ी से नेह, बुरे मांग रखने हासे।
मगश करिंते भुरे भरी जर भागी, भुरी माग का लक्ष साक गर भुरे जमाई।
गुरीनाद को मक्षि साथ गर गुरे जमाई गुरों के पंपाल हो गुरों सुरमने भागने
पड़ी भंग कहो एक बड़ी सुनो एक सभी से गुरा उमाईरना एक सभी से उमाईरना
गुरों को मक्षि साथ गुरे जमाई गुरों के पंपाल हो गुरों सुरमने भागने
पड़ी भंग कहो एक बड़ी सुनो एक सभी से गुरा उमाईरना
गुरों को मक्षि साथ गुरों सुनो एक सभी से गुरा उमाईरना
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật