कर भिलनी कुटी पे इंतजार राम घर आएंगे
कर भिलनी कुटी पे
इंतजार राम घर आएंगे
रोज सविरे वो तो डगर बुहारे
गंगा जल के छिड के भी मारे
करे पुश्बों की माला त्यार राम घर आएंगे
करे भिलनी कुटी पे इंतजार राम घर आएंगे
मटकी ले रोज वो तो बन में भी जाती
मिठे मिठे बेर रोज चुन चुन के लियाती
भर लिये मटके चार राम घर आएंगे
करे भिलनी कुटी पे इंतजार राम घर आएंगे
मिठे मिठे बेर मैं तो राम को खिलाऊं
खटे खटे बेर मैं तो परसी भगाऊं
करो कुटियां पे उनका सतकार राम घर आएंगे
करे भिलनी कुटी पे इंतजार राम घर आएंगे
रङग जाऊं मैं तो भखती के रङ्ग मैं
जाँगिड के संग करो सत संग मैं
ملے مکتی کا سیدھا دوار رام گھر آئیں گے
کربلنی کٹی پہ انتظار رام گھر آئیں گے
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