Nhạc sĩ: Kamlesh Upadhyay (Haripuri)
Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650
इस भाग में आईए हम सुनते हैं।
श्रीराम की सुन्दर्ता का वरणं
जनकपूर नगर में राम की चर्चा हो रही है।
सक्हियों की मन में सीता के लिए राम की जगह
धनुष यग्यशाला का दर्शन करने गए रहूं।
आईए इस कहानी का इसमें दर्शन करते हैं।
प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान
प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान
प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्यान प्रभुश्या
नगर नारी देखे छबि नारी ऐसी ना देखी कभी प्यारी
ऐसी मूरत को उन दूजा जो देखे हो मन से पूजा
एक दूजे से पूछे सब ही ऐसा ना देखा है कब ही
एक सखी बोली सुन बेहना दशरत सुत ये राम क्या कहना
देखन में छोटन ये लगते बड़े बड़े ये कार्य है करते
कि आसबा हु मारिच को नीचा एक ही बाड प्रतंचा खीचा
एक सखी यह बोलन लागी राम योग वर जानकी जागी
तिसरी बोली धन विधाता नहीं संदिघ जानकी ना था
पुर्व जन्म के पून है सुन्दर तभी ये दर्शन हुआ मनोघर
अपने चरण कहिल्या तारे शिवधन तोरी मन पून हमारे
ब्रह्माने यह जोड़ी बनाई फिर कोई ये कैसे मिटाई
जह जह जाते दोनो भ्राता परमाननद वहाँ च्छा जाता
वहाँ गए प्रभु लखन के संगा धानुश यग जहां होवे तरंगा
सोने के सब मंच सजाए बैठेंगे राजा जो आए
धानुश यग शाला प्रभु देखी कोमल चित चहुं ओर निरेखी
राम लखन आए गुरु पासा रात्री पहर सुने इतिहासा