थिनका थिनका राम भज़े है
मेरी आयोध्याज सजे है
इनका थिनका राम भज़े है
मेरी आयोध्याज सजे है
राम नाम का अमरित खुल रहा
रघुवर छवी में तरपन ठल रहा
कल कल बहती सर्यु किनारे अनहद गीत गा रहे है
देख प्रभू का सूरे तिलक है
धरा पे छाई हरी आली है
अन्धियारा हारा दिवाली है छोड़के सारे अपनी
सुद बुद प्रभू चरनों में गिर जा रहे है
के कई मा की आँखें भरी है
ओशल्या भी द्वारे खड़ी है
राम राम राम राम
के कई मा की आँखें भरी है
द्वारे खड़ी है हरत सजाए मुकुट प्रभू का दशरत बिने आई घड़ी है
हरत सजाए मुकुट प्रभू का दशरत बिने आई घड़ी है
हरत सजाए मुकुट प्रभू का दशरत बिने आई घड़ी है
चौधा बरस के सारे दुख अब
प्रभू दर्शन से मिटे जा रहे है
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