किया देवि सर्वभूतेशों
काली रूपेड संसितः
नमस्तस्याई नमस्तस्याई
नमस्तस्याई नमो नम
स्रीमत देवी भागवत की पावन कथा
रक्त बीज बध आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए जा रहा हूं।
आपने
दुर्गा अवतार में सुना था
आरे
मेदारिषने
राजाशुरत को
एसेंगी राज सुनाई।
आरे चंड़ा मुंड़ को बद सुनकी अशुर्गो यखलाई।
देवताओं की
राजगधी देवलोक और प्रत्वीलोक पर ब्याराजमान है।
सब लोग चंतित हैं कि हे मा उध्धार करो।
महाराज यश्वर सेना पतिरो बुलवाई।
हर यपनी यपनी सेजा सनाय लेओ डंका देव बजवाई।
भईया यश्वरन को दल गूजो।
अंबर को जाय रोए।
अशुरन को दल गूजो।
दोस्तों,
आज दुर्गे मय्या के
ऐसे कर्तव जब देखे हैं भवानी के,
तो देवताओं में खुसी का माहुल है और राचुसों में भगदड पड़ गई।
तो
देखिए रक्तवीज को कैसे मय्या ने मारा है वो पावन कथा
बीर्छनाला में आपके समझ प्रस्थुत करने के लिए जा रहा हूँ।
पचास कोट बीर कुल सजी गए कसलईड हाल और तलवार।
सज़ गए सो
धुम्र कल्योता काल कमार्य बीर सरदारी।
ऐसा ही नहीं दोस्तों।
बड़े बड़े सूर वीर योधा
राच्चस कुल के आज मय्या को मारने के लिए जा रहे हैं।
आज राच्चसों ने हिंगीर परवत पर जब कूच किया
हारे
असुरसे निलखे मय्या हस गई हात मेली नो धनुसी उठाई।
आरे मातन कार तनु सकी करिदाई धर्ती अमर गए दहलाई।
आरे सेरा दाध
लगाई रहे गिरपे गर्दल के रहो बार हिलाई।
आरे मात
रूप काली को धरी लो चहरा लो विकराल बनाई।
आरे प्रत्मी लोक के जिबले ना चसा
सब मय्या पे परे तुराल।
जब धर्ती के राच्चसों में गथ बंदन हुआ
देवता लोग मय्या के साथ साहयक बनने के लिए पहुँचे।
ब्रह्मा की सक्ती वो ब्रह्मारी
हर्ष के ऊपर बेठी गई जा।
आरे हात कमंडल जल कोली ओ
अच्छर सूत्र मंत्र दे मारी।
आरे मस्तक चन्दा सोबा दे रो करमें डम्रूरेही घुमाई।
भाईया
कार्थके जी की सक्ती मोर पे चड़ी की आई रही है।
अव तो कार्थके जी की सक्ती मोर पे चड़ी की आई रही है।
आरे चड़ी की आई रही है।
अव तो कार्थके जी की सक्ती मोर पे चड़ी की आई रही है।
देवता लोग कहने लगे कि हम मय्या को अकेले नहीं लडने देंगे।
अपनी बात वी ये कि विश्वणू जी की महा सक्ती
गर्ड पे वही सवार।
संक चक्र गदा हात में सोवहाय प्रमपार।
मेरी भीया,
आज विश्वणू जी
की सक्ती चली है।
तरशिंग का रूप धारण करके रड में सक्तियां उतर रही हैं।
एरावत पर असवार होकर वज्जर की धार लेकर इंद्र की सक्ती आ रही है।
महादेव ने काली मा को
प्रणाम किया और वचन सुनाया है।
एक बात कही है देवी।
हारे सेव जी ने गिरारे सुनाई।
मेरे भाईया
भोले बाबा कहने लगे
कि देवी जब युद का प्रतियुत्तर देंगे तो सव सक्तियां
तूट पड़ेंगी राच्चिसों पर।
हारे सुन सिव जी के
बचल रे मा चन्डी गिरा सुनाई।
हारे सुन सिव जी के बचल रे मा चन्डी गिरा सुनाई।
जगधम्म के पाश ने पत्र दियो पठवाई।
महाराज प्रभूने तुरद करो ये काम जगधम्म को सिव दूतीने पढो एहया से नाम।
आज
मय्या की जीव लप लपा रही है कून पीने के लिए।
लडने के लिए।
अब तो
रडखे तन को
जाई रही है मेरी सेरा वाली मय्या।
लड़े वे यारो जाई रही है मेरी सेरा वाली मय्या।
पर उसको आज मय्या ने कहा
कि सुम्मन सुम्म से कहो
कि आकर के मेधान में युद का आभान दे। पर सुरुताओ।
आक्या पाकर जगदं बेकी
की बोलानी खुशी मनाई है।
एक खवरी भेज़िदाई अशुरे स्वर्पर।
अरे
राच्चसी गव
जो जिलाई है।
सिवधूती मय्या
आज राच्चसों को खवर दे रही हैं।
कि मय्या युद के लिए तैयार हैं।
तैयार हो जाओ।
अहाँ।
देवताओं की तरब से युद का आभान ले कर के शिवधूती माई जाती हैं।
तो अस्रों को लगा कि हमारी बेजज़ती हो रही है।
अरे क्रोधसी चहरा विगरी गव
किसे न पतिलो
बुलवाई है।
कि आदेस दिया असुरे सुरने
कहले ओ अपनी पोजी सजाई है।
राजचस वोले हमी तयार है।
कि
जैसे हो दुर्गा पकड़ लेो।
कि
जैसे हो नारी को पकड़ो।
बाको लेयो सीसी उड़ाई ए।
मेरे भईया
देवताओंने देर नहीं की पत्र भेज़ दिया और राजचस तामस में आ गए।
कि आज्या पाकर यसुर की गए रडबुम में आई।
रड की वेरी बजी गई
मा कूदी रड में आई।
ऐसा ही नहीं अरे कूदी रड में आई।
और नगाडे
बाजे बाजे रहे।
आरे नगाडे
रड के
बाजी रहे।
दो दल
बिड़ी गए आई
देवगड
मन में लाज रहे।
अरे गरजना
सेर करे भाई।
अरे मात दई बिलकार यसुर दर दरिगवे भाई।
अरे मात दै
बिलकार यसुर दर दरिगवे भाई।
देवियां सवर्ड में आई।
और अपने अपने बाहन चड़ी की रहे हर साही।
अरे यसुर दल गुस्सा है भारी।
देवियां मन हर साही रहे।
असुरन पर बरची बहा लेले तलवार चलाई रहे।
और
ऐसा ही नहीं दोस्तों
अगर आप अपने घळ में समय न रहते हुए दुर्गे मईया का हवन न करा पाओ
तो भारत सास्त्री के दुआरा हुआ ये प्रोडाम
अपने घ़र जरूर बचा देना नवदर्वाम न।
रिशी नेधा समझाई रहे और भारत जी दुर्गा सबसती गाई सुनाई रहे।
साथियों,
ये जो कथा आप सुन रहे हैं,
मेरे द्वारा जो भी दुर्गा मैया के प्रोडाम आ रहे हैं,
वो सब दुर्गा सबसती से मैं उठाए हैं और आप तक पहुचा रहा हूं।
क्योंकि किसी गायक ने आज तक उस पस्तक पर निजर मारी ही नहीं।
ऐसे प्रोडाम बजाने से आपके घर की व्यादी धूर होगी,
भूत,
प्रेत नहीं आएंगे।
क्योंकि ये दुर्गा सबसती का मैंने
आपको वो छोटा प्रारूप करके देहाती वरग में दिया है।
भईया धीरे धीरे
दुर्गा मैया ललकारी लगाए रहे हैं,
अब तो सेरा वाली राचशन को रौद लगाए रहे हैं।
प्रेत नहीं आएंगे।
बेठे वो मैया बोड़ लगाए रहे हैं।
मेरे भाईया
देवताओं में और राचशों में युद चल लहा है,
और देवताओं की यगवाई कर रही हैं,
महा सेरा वाली भगवती।
आरे चमकि सुरोई रई रढखे तन चमकि ढालै और तलवारी।
आरे इंद्रारी एरावत शोहे बैशनो मैया गरुड़ यसवारी।
आरे ब्रह्मारी के हाथ कमंडल जड़ चिलके
देवियाओं की सक्तियां
आज राचसों पर भारी पढ़ रही हैं।
आरे सकल देविया रण में विचर ही न को बालन कोई पार।
आरे गदा गुमा में बज्र चला में अशुर सारे डारी देव मारे।
राचसों का महावली योदा रक्तवीज क्रोध में आ गया।
ओर जगग देखी रक्तवीजले पापी मल में गओ खिसी आई।
आरे धनुश मान लें बरसा करी रहो। देवी पे
दयतीर चला आई।
पच्चाई नहीं स्रोताओ। आज मय्या का आमना सामना
रक्तवीज से हो रहा है।
है पच्च चला आई रे देवीने। आरे डप के रक्त अशुर को जा।
सुधीर भाई
सचिल
जा रहा है। आरे पच्च चला आई रे देवीने। डप के रक्त अशुर को जा।
एक बून अशुर की गिरी गई। योधाला खनव है तयारी।
सातियों
जैसे ही मय्या ने बज्जर का प्रहार किया
रक्त बीज का खून धर्ती पर गिर गिया। लाखाओं योधा तयार हो गए।
हारे एक एक बून से एक एक योधा। हारे लाखन बीर भेट तयार।
योधा पर दानी रक्त बीज का खून धर्ती पर गिया।
आरे रक्त बीज योधा पर दानी।
अरे भगदन पर गई सब देपन में,
अरे तब मईया को कही सुनाई।
मेरे भईया,
आज रक्त बीज अकेला ही मूर्चा समाले है,
सब पर भारी है।
मेरा रिस कहने लगे
सुनो भूप चितलाई,
रक्त बीज ने योध में दईहाँँ कार मचाए।
आरे हाँ कार मचाए।
रोहर साई
युद्ध करे भारी।
शिवदूती ने अरे चा मुण्डा को मारिदई किलकारी।
अरे शिवदूती ने
चा मुंडा को मारिदई किलकारी।
हे
मा
आरे रक्त बीज बल्मान।
सुनो दे ध्यान
माती हमारी। अरे दसों दिसासीं गिरिलैयो मय्या जाकों दैयो मारी।
सब देवी जोरे मिलिआईं।
रई अपने सस्त्रि चलाईं।
सब मय्या जोरे मिलिआईं।
अरे तब
असुर रो रिसी आई।
रोहा कार मचाई। तब यसुर रोज।
मेरे भाईया,
आज मय्या का
क्रोध का कोई ठिकाना नहीं है।
रुद्र रूप लखे असुर गड़।
भागे प्राण बचाई।
जिसे धूत कहते हैं,
बराही रड़ छेत्र में युद कोई असल दिखाया जा रहा है।
और स्रोताव राच्चसों में भगदड पड़ गई है।
वोले अब मचना मुश्किल है। क्योंकि मय्या ये बिचार कर
रही है कि इसके रक्त की बूंद जब धर्ती पर गिरती है तो ये
हजारों की संख्या में हो जाते हैं। ऐसा ही नहीं।
आरे रक्त भी जरण ढटो यखेलो बाड रहो बरसाई।
आरे चा मुंदा पे क्रोधित होई कि फर्शादो चलाई।
मेरे भईया
महाराज मात ने
अरे फर्शादी ओ काटे।
अब कारण से बचकी जावे
रही अशुर को ढाठे।
भईया मारे इतने बाड अशुर तन छलनी करिदाओ।
बोली एदर गए मय्या कीज।
इदर
देविया बोली मा
तुम कितना भी मार लो ये लाकों भीर तयार हो जाते हैं
इसके खुन में ही बर्दान है।
आरे रख्त भीजखो रख्त गिरो धर्ती पर युतने बीर हुए।
येवे सभी सुसजजित अस्तरों से वो सभी बीर लड़ धीर हुए।
अस्तरों से पर प्रस्थान पर प्रस्थान पर
प्रस्थान पर प्रस्थान पर प्रस्थान पर
प्रस्थान पर प्रस्थान पर प्रस्थान पर
प्रस्थान पर प्रस्थान पर प्रस्थान पर
प्रस्थान पर प्रस्थान पर
प्रस्थान पर प्रस्थान पर प्रस्थान पर
तुम काली का रूब मनाओ
और इस रख्तवीज को जब अस्तरों से परहार हो तुम इसका
खून भी जाओ धर्ती पर घिरने नहीं चाहिए अगर ये धर्ती
पर रक्त घिरता रहा तो करोडो रक्तवीज तयार होते रहें
तुम रक्तपाली करो चंडी अस्रों की संख्या कम होगी
अव अस्र
खदेडे जाएंगे
कुछ तो अस्रों को गम होगी
मेरे भाईया
सभी देवियां
माचंडी को
नवेदन करती हैं कि हे माँ
आप काली रूप धारण करियेगा
और आप इस रक्तवीज का रक्त पी लीजिये और स्रोताओ ये जो
कथा मैं आपको सुना रहा हूँ जो आप दुर्गा का हवन कराते
हो संस्क्रत में ही उसी का हिंदी अनवाद है तो आईए
कि काली बन कर मातने खपर लो उठाई
असुर रक्त से बनी रहे उनको रही चवाई
ऐसा ही नहीं
आरे रडवेरी रड में
बाज रही
और
असुरत भी घवडाए
कि रडवेरी रड में बाज रही
असुरत भी घवडाए
सवो देवी सस्त्र चलाई रही
सवो देवी सस्त्र चलाई रही
असुरों को मारी गिराई रही
काली रही असुरन को खाई रडवेरी रड में बाज रही
मेरे भईया,
सभी देवियां मईया काली की श्तुति करने लगी हैं
जैकारा लगाने लगे हैं देवता,
पोलिये काल का मैया की
आरे रक्त बीज़ को बदभो और देवने मुशिकाई
आरे फेवर
सीनर
नाग सबो रहे माक गुड़ गाय
खपर बढ़ी रही हैं निश्चर से,
सबको खून मा पी रही जाई
अरे रक्त बीज़ धरनी पर मारो अरे सबने पापी गये गवड़ा
आरे बगदण पर गई
बिपच्छी यूग में
मारे गये हमारे सरदाल
देवता इस्तुती मात की करी रहे हैं यरे क्रोध सांत होई जाये
अरे देवर शीने करतव जोड़े
अरे देवर शीने हात जोड़े
अरे देवराज जब मुख से बोले
बरुड़ जी
पामन में अवः परी रहे हैं यरे क्रोध
सांत होई जाये देवता
पामन में अवः परी रहे हैं क्रोध सांत होई जाये
अरे विश्णू जी ने करी आरती
अरे सेर चड़ी है मात भारती
अरे भारत गाय की तुमें सुनाई रहे हैं यरे क्रोध सांत होई जाये
अरे देवराज डोलक को बजाते
अरे मास्टर जी चिमटा खनकाते
सचन की सहता याज मिली रही है यरे क्रोध सांत होई जाये सचन की
अरे राठोर के सिटी रही सुहाई
हाँ राठोर के सिटी रही सुहाई
अरे भारत गाता रहे सुनाई
कलम यब पाठ करी की चली रही है की क्रोध सांत होई जाये
देवता इस्तुती सब रहे करी रहे है की क्रोध सांत होई जाये
आने वाले प्रोराम सम्मन शम्वद महिसास्वरबद
आपको अच्छी कुछ सुनने के लिए मिलेंगे
सभी लोग अपना प्यार बनाई रखे इस गरीबभारत पर आपकी महान दया होगी
मेरी राम,
राम, राम
मेरी राम राम राम
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