नाई हरसे हो के गईलु ससुराल हो
हमके बतावा ससुरा के हाल चाल हो
तारा मुहावा पे होशी कहे आवत नई खे
खाली परो सलखाना खाये के सभूर नाई थे
खीलालच खारा तोहार बाते मुरुझाईल
बोलाये जान कौन विपत बाते आईल
काल पर बड़ा दुख बाद
पोलंके अलंग को भोहिले नहां मर हो छूचाके छोड़ देला
पियाबा मर हो तुहरा बगीये के फूल कहे खिलत नई खे
ओधर के लाली हो खेल बासी चकात नाई खे
सम्ग्जार
सुना आरे काकोही कोभो ज़वानी के चावी
अइठात नाई खे