बान हित राखी हम रोहा थे
उहो सबका जैसे
रहित गो बहिनी जे हमार
एराम जी रहित गो बहिनी जे हमार
भया भया कहित माते तिकावा लगाईत वो
करे चावा जुराईत हमार
एराम जी करे चावा जुराईत हमार
बान ही एके राखी मांगित हमसे रुपईया
कोहिना देबा परसे से चोराले हब हो भया
लेके मीठाई जाले सभे बबुनी खारे हम जाईं
के कारी दुआर एराम जी हम जाईं के कारी दुार
बान ही ती राखी हमरो हाथे वो सबका जैसे
रहिते गो बहनी जे हमार एराम जी रहिते गो बहनी जे हमार
चंदन अलोक दीपक भैले अभागा अपने हाथे बान हब हम रेसं के धागा
रोबेला मन दिन और राती छाने छान वो
मिलल ना ही बबुनी के दुळार एराम जी मिलल ना ही बबुनी के दुलार
बान हित राखी हम रोहाते वो सबका जैसे रहिते गो बहनी जे हमार
एराम जी रहिते गो बहनी जे हमार
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