रहिमन धागा प्रेम का
मत तोड़ो चटका
रहिमन धागा प्रेम का
मत तोड़ो चटका
तूट से फिर ना जुड़े
जुड़ गाथ पड़ जाए
रहिमन
जुड़ गाथ पड़ जाए
रहिमन देखी बड़ेन तो
लगुना दीजी ये डार
रहिमन देखी बड़ेन तो
लगुना दीजी ये डार
जहां काम आवे
सूई
कहा करे तरवाद जुड़ जाए
रहिमन
कहा करे तरवाद
रूठे सुझन मनाई ये जो रूठे सोबाद
रूठे सुझन मनाई ये जो रूठे सोबाद
रहिमन फिर फिर पोई ये
तूटे मुखता हार रहिमन तूटे
मुखता हार
जो बडेन को लग कहे
नहीं रहिम घट जाही
जो बडेन को
लग कहे नहीं रहिम घट जाही
धर मुरले धर कहे
कुछ दुख मानत नाही रहिमन
कुछ दुख मानत नाही
वे रहिम नरधन्य है
पर उपकारी अंग
वे रहिम नरधन्य है
पर उपकारी अंग
बातन वारे को लगे
जो महदी को रंग रही मन
उतम्
प्रकृती
का करी सकत कुछ न
जो रही मन उतम् प्रकृती
का करी सकत कुछ न जो रही मन उतम् प्रकृती
चंदन विश्वया पे नहीं लिप्टे रहत भुजंग रही मन
लिप्टे रहत भुजंग
रही मन चुप हो बैठी ये
देखी दिनन के फेर
जब नी के दिन आई हैं बनत न लगी हैं देर रही मन
बनत न लगी हैं देर
तरवर फल नही खात है
सरवरपीय ही न पान
सर्वर्पिय ही नपान
कही रहिम पर
काज हित
संपत संच ही सुजान
रहिमन
संपत संच ही सुजान