खिजो गन
बन के हे स्वामी अब धमे
अब रहल जाई ये जोगन
बन के हे स्वामी अब धमे
अब रहल जाई
ये जोगन बन के हे स्वामी अब धमे
चरन
से दूर रह के भी प्रेम साग में दूबल जाई
चरन से दूर रह के भी प्रेम साग में दूबल जाई
भी स्वरले नई धी रह रह के दिल से एपच्छण स्वामी
एपच्छण स्वामी
तचवुद साल के विछरल कही कही से सहजाई तचोगन बन के हे स्वामी
पती जंगल में जाके सूती भास पताईपा
भास पताईपा
आगनी के कैसे
से पर सुदल जाई कि जोगन बन के हे स्वामी अब अधर में अब रह जाई
नी होरा अंतमे स्वामी पर
बभोई आके खुबो सेवा
चरल में
जील जाई
जील जाई चरल में ही मुल जाई कि जोगन
बन के हे स्वामी अब अधर में अब रह जाई
चरल से
चरल से तूर रह के भी प्रेम सग में तू बन जाई
कि जोगन बन के हे स्वामी अब अधर में अब रह जाई
कि जोगन बन के हे स्वामी अब अधर में अब रह जाई
कि जोगन बन के हे स्वामी अब अधर में अब रह जाई
कि जोगन बन के हे स्वामी अब अधर में अब रह जाई
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