Nhạc sĩ: Kanha Singh
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तेरी छवी सबसे प्यारी प्रेम की कहानी है
थे जै जै जै किशोरी जी तेरी जैकार हो
हर पल तेरा नाम जप बस यही पुकार हो
तू विंदावन की स्वामिनी तू ही तो आधार है
तेरे बिन शाम भी अधूरे तू ही उनका प्यार है
बरसाने की धूल में तेरा नाम बसा है तेरी करुणा की छाओं में जीवन हसा है
किरती चीकी लाटली ओ विश्वण दुलारी
सौनदर की मूरत ओ शाम की दुलारी
राधा नाम ही अमरित राधा नाम ही जान
ये नाम जो भी जप पाए मोक्षकस्थान
बाके बिहरी तेरा ध्यान सदा धरते है
तेरे बिनावे एक पल भी न गुजरते है
रासेश्वरी तू है तू ही तो है सब कुछ शाम का
तेरे नाम से ही होता है हर सुन्दर काम का
गूपियों के मन में बस तेरी ही छवी है सजी
प्रेम का सागर तू है हर प्रेम में तू ही रची
रिंदावन ती कुञ्ज गली में
तेरा ही वास है
नितनिधिवन में जूले सची तेरी आस है
राधा बल्लब राधरम तेरी जैकार हो
प्रेम मंदिर की जोती तेरा ही प्रकाश हो
तेरी करुणा से ही ये धर्ती
महकती है
तेरे नाम के जब से ही आत्मा चहकती है
राधा नाम की एक बूंद भी मिल जाएँ
जीवन की सारी चिंदा पल भर में मिठ जाएँ
जपूं तेरा नाम सबा ये मन्नित कहता है तेरी सेवा में ही तो आननद बहता है
राधा राधा बोलकर मन को
शांद करो
इस माया के जाल से खुद को पार करो
ओ लाड़ली माँ अब देर ना लग़ाओ तुम मेरे अंधिम चन में दर्शन दिखाओ तुम
ये काया नश्वर है ये दुनिया धोका है
बस तेरा नाम ही सच्चा ये ही तो मौका है
तेरे चर्णों पे रजवन भरवन रावन में रहूं
हर पल तेरी महिमा और प्रेम को
कहूं
राधा राणी तु हमारी महाराणी है
तेरी छवी सबसे प्यारी प्रेम की कहानी
है जै जै जै जै किशोरी जी तेरी जैता रहो
हर पल तेरा नाम जब बस यही फुकार रहो
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
मनमोहन
मेरे शाम राधा के प्यारे
तेरी छवी को देखकर हम सब हारे
जान हाँ मनमोहन ओ बाब के बिहारी तेरी एक मुस्कन पे
दुनियां बले हारी वृन्दावन में तेरी बनसी बजती राधा
के संग तेरी छवी सजती माखन चोरी की लीलाएं अलबेली
तू ही तो है हमारे जीवन की सहेली
तेरी दया से ही ये जीवन सवरता
हर पल नाम तेरा लेने को मन करता
ओ करुणा के सागर ओ नदलाला प्यारे
अब आओ दर्शन दो हम कब से पुकारें
मन
मोहन मेरे शाम और राधा के प्यारे
तेरी छवी को देखकर हम सब हारे
ओ कान हा मन मोहन
ओ बाँ के बिहारी तेरी एक मुस्कन पे दुनियां बली हारी
गोवरधन गिरधारी ओ नन्द के लाला
तेरी प्रेम ने ही घूमू जैसे मैं माला
बनसी की दुन तेरे जादू करते
तेरी आद में मेरी आँघे भरते
विरिंद्रावन के कण में तेरा ही डेरा
तू ही है शाम तू ही है सवेरा
तेरी दया से ही ये जीवन समवरता हर पल नाम तेरा लेने को मनन करता
राधा नाम संग तेरा नाम प्यारा तू ही तो है हमारे जीवन का जहारा
ओ करुणा के सागरो लाडले प्यारे
अब आओ दर्शन दो हम कब से फुकारे
मन मोहन मेरे शाम
तेरी छवी को देखकर हम सब हारे
ओ काना मन मोहन तू ही है जीवन
तू ही किनारे
राधा नाम संग तेरा प्यार है अनमोल तेरी एक जहलक पे मेरा तनमन दोले
गोबरधन की शौम बृंदावन की गली में
नित तेरी बंसी बजे प्रेम की कली में
राधा राणी संग तेरी रास लीला न्यारी
ओ युगल सरकार तुम पर जाओं बली हारी
गोकुल के छोरा
तु ही सच्चा सहारा
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
गोकुल में जन मेनन्द के प्यारे
संसार के दुख हरने वाले न्यारे
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
माखन चूरा कर हसते थे बाल यशोदा की आँखों में
बसते थे लाल श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
काली गानाग पर नाचे थे वीर
दिया सबको प्रेम का तीर
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
गायों के संगो कोकुल में खेल ते मुरली की तान से मनहर ले ते
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
गोवर्थन परवत हत्हेली पर उठाया
इंद्र के घमंड को धूल में मिलाया
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
खंस के अत्याचार का अंत कराया
सत्य और धर्म का दीप जलाया
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
अर्जुन को रनद्भूमी में ज्यान सुनाया
गीता से जीवन का आर्थ बताया
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
द्वार का में राज किया न्यारे ढंग से भक्तों के मन जीते प्रेम रंग से
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद द्वार का
राधा के बना एक पल न बीटे उनके नाम से जीवन रीते
श्री राधे गोविंद हरी
राधे गोविंद द्वार का
परुणा दया प्रेम के सागर तेरे चर्णों में मिले आराम निरंतर
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
गोकुल के नंद लाला माखन चोर कहे लाए
यशोदा के लाल प्रेम रस बरसाई श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
गायों के रखवाले गोपाल कहलाते थे
गोपाल
कालिया नाग को नाथ कर लीला दिखाते थे
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
गोवर्धन परवत उठाया
इंद्र का मान तोड़ा
शरण में जो भी आया
उससे नाता चोड़ा
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
मुरली की धुन से सबको मोहित करते थे
वृंडावन की गलियों में प्रेम ही भरते थे
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
कनस जैसे असुरों का पल में किया समहा
प्रेम की स्थापना करके मिटाया अंधकार
अर्जुन को ग्यान दिया बनकर वो सार्थ ही
गीता का उपदेश दिया करके परमार्थ ही
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
द्वार्टा के नाथ जगत के विधाता है आप
हर भक्त का हर तिसदा दुख संताप
श्री राधे गोविंद हरी राधे गोविंद
मां के बिहारी राधारमन शाम सुन्दर कहलाते हैं
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