चल बैं गलत हूँ, गलत ही सही
कहने को थोड़ा सक्त हुँ, सबजत क्यू नहीं
चल, मैं घलत हुँँ, गलत ही सही
कहने को थोड़ा सक्त हुँँ,
समझत क्यू नहीं
के जीवा सकोंगा मैं। तुम्हारे भिँना
बिटा दो सारे फासले गलत फैधेया
के वे रस्पू तुझवे है
सुभाओ और शब तुझवे है
लगाले आके भिर गले
के मेरा रब तुझवे है
के वे रस्पू तुझवे है
सुभाओ और शब तुझवे है
लगाले आके भिर गले के मेरा रब तुझवे है
जब तुझवे है तो पर
ज़िक्र किसी का भी करूँ मैं अगर
इसका गर बसा है तु वेरे जहर में
खुद को भूल वेठा हूँ बस तरी करूँ फिकर के जी ना सकूँगा मैं तुमारे भिदा
तुझवे है शब तुझवे है
लगाले आके भिर गले के मेरा रब तुझवे है