लंगर लाल
नभी भी आलकों रजपालकों कुर्बान मैं जान
पलंदर बाद शाय पेशवा सारे जमान
पलंदर बाद शाय पेशवा सारे जमान
आली ओ फातिमा दा लाल के प्यारा हसंद आए
है शाहुसैन इस दा नाम के सगपंज तन दाए
हुसैनी लाल को लजपाल को फुरबान मैं जावा
पलंगर लाल कौन रजपाल कौन फुरबान मैं राम
अली इसनों बनाया पेशवार इन दाते मसादा
हुसैन बने अली ने रहनुमा कीता अलासादा
हुसैनी लाल कौन रजपाल कौन फुरबान मैं राम
कलंदर लाल कौन रजपाल कौन फुरबान मैं राम
जसेवन बिच कलंदर लाल ने नगरी वसाई यै
उसएनी लाल को लजपाल को पुर्बान मैं जाँ
मलंदर लाल को लजपाल को पुर्बान मैं जाँ
प्रस्तुत प्रस्तुत