राधा राणी ले लो मुझे कुछ तुम शरण में अपनी
ये ब्रज की रज का रंग चड़ गया है मन में
राधा तुम्हारी सक्खी वृण्दा के वन में
शी राधा तेरे चरणों में मुझे को रख ले
हाँ राधा राणी तुम क्यों कहती नहीं कृष्ण से
मेरी पुकारना वो सुनते उनके सिखर से
मैंने कहा शी राधा राणी से कहूंगा
अब वो जट से सुन लिये मिला दिये है प्रिय से
मेरा मन तो लगे बृन्धावंधाम में सदा रहू मैं राधा शाम के ही द्वार पे
चिप्डिये बनन्द महाराज जी के ग्यान से
तार दूये जीवन राधा तेरे नाम में च्याप के
अलिरे मोहे लागे ब्रिंदावन नीको
लागे ब्रिंदावन नीको
राधाकृष्न प्यारे तुम लगते
राधाकरेशन प्यारे तुम लगते
आज भी निधीवन मेरा सिरचते
आज भी निधीवन मेरा सिरछते
मुझको तो, मुझको तो, मुझको तो, मुझको तो
मुझको तो चड़ा तेरे नाम का कुमार
रादा को enćour llII से हुआ है इतना प्यार
रादा को क्रिशन से हुआ है हीतना प्यार
क्रिश्ण भी कर दें रादा का ही इंतिजार हुए शरी
रादा रादा इस्ते हा सराभान सराभान माऋं द्रgam
क्रिष्ण गुई इम्स्यवच लगो चेस
एक आत्मदूई देधारी एक दूजए में दोनों बसते हैं।
ब्रज की महीमा मैं क्या गाँऊँ श्री किशोरी यहां पे विराजे
राधा क्रिशन के साथ के वो पलग जवासी हम को सुनाते।
मेरा मन तो लगे वृणदावन धम में सदा रहूं मैं राधा श्याम के ही दौर पे।
श्री प्रेमाननद महाराज जी के ग्यान से
तार दू ये चीवन राधा तेरे नाम चाप के।
अली रे मोहे लागे वृणदावन नी को सक्खी रे मोहे लागे वृणदावन नी को
लागे वृणदावन नी को
राधा श्याम शाम शाम राधा श्याम
राधी शाम शाम शाम लागे
वृणदावननी को प्रेमाननानननद महाराज सिटा conventions