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Putra Or Bahu Ke Prati Kaisi Bhavna Rakhni Chahiye

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Lời bài hát: Putra Or Bahu Ke Prati Kaisi Bhavna Rakhni Chahiye

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

शेहडोल जिले में तिल के लड्डू कुछ भक्त लाए थे
तो मेरे जो यहाँ दान आता है ना, मेरे कमरे में पहले जाता है, उसको मैं चेक करता हूँ
चेक किया तो मैंने संत जी से कहा कि ये लड्डू सब संतों को जो है भोजन के समय दे दो
एक एक दो दो लड्डू दे दिया है तो एक संत बोला गुरुजी आपके लिए थोड़ा रख दें हमने का हमारे लिए लड्डू का
खाली डब्बा भी मत रखना सब निकालो यहां से सब खाली करो तो संत भी बहुत था 25-30 महात्मा दो-दो लड्डू
आए तो 60 लड्डू लड्डू खेला यह कौन क्योंकि माता पिता तो सब छूट गए घरी परिवार इनको लड्डू बनाना आता
नहीं हो खाना आता है तो देगा कौन खाएंगे क्या कोई दयालु दे गया दे दिया तो खा लिया तो शेहडोल से जब मैं विदा हुआ
सेख डिल से शिंगरोली आया शिंगरोली आए थे तो शिंगरोली में फिर चार डब्बा लड्डू आया वह तिल का लड्डू करी लड्डू
तो फिर हमने कहा दो डिब्बा फिर संतों को बाठ रहा था
दूसरे दिन फिर दो तीन डब्बा आया
तो हमने कहा फिर दो डिब्बा बाठ रहा था
तो तीसरे दिन फिर आया
तो हमने कहा ये एक डब्बा मेरे लिए रखो
फिर एक लड्डू आज खाया है
वहां का लड़ू, फिर हम ने कहा ये लड़ू उन संतों को दे दो, बोले आपके लिए रख दियो, हमने कहा बिल्कुल दिखाई नहीं देना चाहे, देने से ही आएगा, फिर आ जाएगा, कोई ले आएगा, कौन लाएगा, जो लाएगा, सो लाएगा, जो लड़ू लाएग
तो कहानी है जिंदा कहानी थी कि अपने पुत्र और बहु के प्रति भी भावना अपनी अच्छी रखो दूसरों को हम
सुविधा देंगे दोस्तों को खिलाएंगे पिलाएंगे अपनी परिवार का भी ध्यान देंगे चुप्पे-चुप्पे खाने की
बजार से कुछ लाओ बिडरूम में चुपके से लेकर जाकर पद पतनी चुट्टा चुट्टी करके मत खाओ
पहले अपने घर के बुढ़े सांस ससुर को खिलाओ थोड़ी जिंदगी बची साल दो साल पान साल उनके जीब पर भी टेस्ट आएगा एक पीस उनको खिलाओ फिर बच्चों को खिलाओ फिर बचे तब तुम खाओ अब ना बचे तो हाथ पाँ धोके दाल भाथ खाओ जंज
शारा कर खुद ही खाओगे तो रह गुल्ला भी गोघर गुल्ला हो जाएगा तो उनको खिलाओ जिस माने अपने आंचल का दूद खिलाया
दाल भात खाकर दूद बनाकर तुमको प्यलाया, उनको खिलाया
जिस दादी ने तुमको गोध खिलाया, जिस बड़ी वहन ने तुमको कंधे पर लाद कर भोमी है
उनको खिलाया और जिस गुरु ने इतना तुमको ज्यान दिया, उनको खिलाया
कर दो और जिन भक्तों ने इतना प्रेम किया है उनको खिलाते हैं हे गुरदेवों के लिए भी तुम भी मत खाना
जिन शिष्यों ने तुम्हारे लिए इतना प्रेम किया है यह सिफ्टों को खिला दें उनका ध्यान रखो सबकी व्यक्ति
का ध्यान रखो जब बनवास में भरत जी गए हैं कौशिल्या कई-कई सुमित्रा तीनों रानियां भी गई हैं और भरत
शत्रभन गए गुर्वशिष्ठ गए तो जब पहला डेरा डाला है तो जहां पहली रात भगवान राम रुके थे वहीं पर रुके
हो लो कर देरा चाहिए इन हां भरत सो दो सब ही कर दे दाउन भरत मैनेजमेंट आफ मांड है
कि हाई-टेक मैनेजमेंट है यम बिये कोर्स कर के गया है भरत राजा दसरत का बेटा कोई साधरन नहीं है
हुआ है
भगवान राम का भाई है, देखिए, जहां तहां यथा स्थान सब लोगों ने अपना अपना बिस्तर जमाया, डेरा डाला, उसके बाद भरत ने सभी के बिस्तरों को देखने के लिए, सभी के पास में जा जा करके सब का सोध लिया, सब का हाल चाल पूछा कि सब कुसल मंगल
क्यों लिया, क्योंकि भरत के ही प्रेम में आज अविध्या राम के दर्शन के लिए चित्रकूट की ओर जा रही है, इसलिए भरत का फर्ज बनता है कि सब का सोध ले लो, किसी को कोई तकलीप न हो, आज प्रभू के प्रेम में अवधवासी जा रहे हैं उनको मिलने के लि�
खुद खा लिया सो रहे हो, कैसे सो रहे हैं, उठो यहाँ से निकलो बाए, खुद ओड लिया रजाई सो रहे हैं, दूसरिक ध्यान नहीं दे रहो, छोड़ो रजाई, दूसरिक रजाई तो तुम ऐसे बैठो पता चलेगा तुमको, क्यों नहीं ध्यां दिया तुमने बच
सब का सोध लिया उसके बाद अपने डेरे में आकर पूजा पाठ किया उसके बाद शत्रघन और निशाद राज को ले करके
कि राम जी गए गुरु वशिष्ठ के यहां पहुंचे उनको प्रणाम किया भरत और शत्रघन दोनों पहुंचे वशिष्ठ
के प्रणाम किया कहा गुरु जी सोई आप निश्चित यहां सब पहरेदारी लगा रहा है निशाद राज से कहा कि आप अपनी
शेना लगा दीजिए चारों तरफ यह अवधबासी आए हैं कोई डिस्टर्व रात में नहीं होने पर शेना लगवा दिया क्योंकि
निशाद राज राजा था शेना लग गई फिर शत्रघन से कहा शत्रघन माताओं की तुम रच्छा करना अभी सोना मत
है और मैं जा रहा हूं निशाद राज के साथ वहां कहां जहां तहां जहां प्रभु रात सोए थे उस जगह को देखूंगा
उस चटाई को देखूंगा कुछ की चटाई को देखा जहां सिंसुपा निवास प्रभु की न्यों रात विश्राम भरत
ने जाकर को उस पेड़ को प्रणाम किया कि मेरे भगवान से इस प्रकार से आपको अपना घर परिवार डिल करना प्रेम से ही
विफल हो सकते हैं बाकी कोई रास्ता नहीं है

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